तुम को हम दिल में बसा लेंगे तुम आओ तो सही
सारी दुनिया से छुपा लेंगे तुम आओ तो सही
एक वादा करो अब हम से न बिछड़ोगे कभी
नाज़ हम सारे उठा लेंगे तुम आओ तो सही
बेवफ़ा भी हो सितमगर भी जफ़ा पेशा भी
हम ख़ुदा तुम को बना लेंगे तुम आओ तो सही
यूं तो जिस सिम्त नज़र उठती है तारीकी है
प्यार के दीप जला लेंगे तुम आओ तो सही
दिल की वीरानी से घबरा के न मुंह को मोड़ो
बज्म् ये फिर से सजा लेंगे तुम आओ तो सही
राह तारीक़ है और दूर है मंज़िल लेकिन
दर्द की शमाएं जला लेंगे तुम आओ तो सही
–मुम्ताज मिर्जा
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