मेरी खामोशी

सबसे पहले तो सभी पाठको तो ईद मुबारक. आप सभी खुश रहे, आबाद रहे…
और आप ‌और आपके परिवार पर अल्लाह की मेहरबानी बरकरार रहे.

दोस्त यार पूछते है कि क्या लिखना बन्द कर दिया है.. मिर्जा साहब कहाँ है? क्या छुट्टन ने कोई नयी फिल्म नही देखी आसपास, या फिर छपास पीड़ा खत्म हो गयी..

इसके जवाब मे मेरे को किसी कवि की यह पंक्तियां याद आती है.

पता नही क्या समझूँ दिल की इस खामोशी का मतलब
कलम न जाने कब से दिल की हालत पूछे जाती है
डरता हूँ कहते है आलिम यार मेरे मुझसे ये जब के
सन्नाटे के बाद भयानक आँधी पीछे आती है।

दरअसल दीपावली के पहले कुछ कामो मे ऐसा उलझे और फिर दीपावली और ईद के एकसाथ पड़ने पर लिखने का समय ही नही निकल सका. रही बात मिर्जा साहब की तो जनाब पूरे रमजान भर तो रोजे पर थे.. सो राजनीतिक और अन्य विषयो के लिये कहाँ से समय निकालते.. और छुट्टन मिंया तो आजकल अपने वतन बांग्लादेश गये हुए है, अगले हफ्ते के आसपास उम्मीद है कि लौटेंगे. बचे हमारे पप्पू भइया, अभी लगे पड़े है दीपावली मिलन समारोह आयोजन मे.

मै बहुत जल्द ही लौटूंगा, पढते रहिये मेरा पन्ना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent Posts

Social Media

Advertisement