हफ़्ते की रपट

बेचारे मणिशंकर अय्यर बहुत परेशान है, क्यो? अरे भई एक तो उनको ऐसा मन्त्रालय टिका दिया गया जो देखने मे तो बहुत ल्यूकरेटिव लगता है लेकिन देखा जाये तो मन्त्रालय क्या है, गालियो की खदान है, हर ऐरा गैरा नत्थू खैरा मणिशंकर अय्यर के खिलाफ़ गालिया निकालता है. अब इस हफ़्ते को ही लो, फिर पेट्रोल के दाम बढाये गये, लोगो ने फिर मा बहन करना शुरु कर दिया है. अब इसमे बेचारे अय्यर का क्या दोष, अरब शेखो ने दाम बढाया तो ये क्या करें, लेकिन कहते है ना, करे कोई भरे कोई.

गांगुली के लडके फिर फाइनल मे हार गये है, अरे! तो इसमे नया क्या है? किसी भी फाइनल मे जीते है क्या? बकौल मिर्जा

“अमां यार जब जीतते नही तो ये फाइनल मे खेलते ही क्यो हो, खामंखा लोगो का ब्लडप्रेशर बढवाते हो.”

सुना है कि गांगुली ने मिर्जा को जवाब भेजा है

“मिर्जा साहब, हम लोगो ने तो पूरी कोशिश की थी, कि फाइनल तक ना पहुँचे, लेकिन क्या करे ये आइसीसी वाले त्रिकोणीय मुकाबला करवाते है, तो ना ना करते हुए भी फाइनल तक गाड़ी खिच ही जाती है.

हारने के बाद गांगुली कहते है “कुछ करना पड़ेगा”, सही भी है, जरूर कुछ करना पड़ेगा, सुनील गावस्कर को बोलना पड़ेगा कि नये नियम बनवाये ताकि भारतीय टीम को गांगुली से सिर्फ़ कप्तानी करवा सके, बैटिंग के लिये किसी और को भेजा जाय. ऐ लो, जब तक हम आपको ये ख़बर सुना रहे थे, तब तक बिशन सिंह बेदी ने फ़िर से गांगुली के खिलाफ़ किसी चैनल पर बुरा बुरा कह दिया है. ये बेदी साहब भी ना, समझते नही…पता नही क्या खाकर दादा के पीछे पड़े हुए है. बेचारे दादा!

सुना है, माइकल जैक्सन ने कैटरीना प्रभावित लोगो के लिये गाना लिखा है, छुटटन मियां को समझ मे नही आ रहा है कि लोग अपने घरों से पानी निकाले या माइकल का गाना सुने….माइकल जैक्सन का कहना है कि “अपने देश के कैटरीना से प्रभावित इलाक़ों में लोगों का दुख-दर्द देखकर मुझे पीड़ा होती है.” सही भी है, माइकल का लोगो से विशे॓षकर बच्चों से स्नेह तो जग जाहिर है.

अब लो बाजपेयी जी को क्या सूझी कि वे खुराना के समर्थन मे उतर पड़े है, अब आडवानी बेचारे परेशान है, क्या करें. आखिरी समाचार मिलने तक पता चला है कि खुराना एक और चिटठी लिख रहे है, बाजपेयी जी, आप खुराने को बोलते क्यो नही….”ये अच्छी बात नही है….”

आज सुबह ही बीएसई सेन्सेक्स आठ हजार का आंकड़ा पार कर गया. अपनी आम आदमी दु:खीलाल सोच रहा है कि अब शायद मंहगाई काबू मे आयेगी, अरे दुःखीलाल तू तो हमेशा दुःखी ही रहेगा क्योकि तू आम आदमी है. और ये सेन्सेक्स तू तो क्या बड़े बड़े अर्थशास्त्री नही जान पा रहे है कि बिला वजह ये सेन्सेक्स इतना ऊपर कैसे जा रहा है. लगता है शायद फ़िर कोई हर्षद मेहता खेल रहा है. चिदम्बरम साहब आप सुन रहे है ना?

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