स्वामी का क्रिकेट प्रेम

पार्टी वाले दिन तो स्वामी को ज्यादा बोलने का मौका नही मिला था, मेरे को घर जाना था.. मिर्जा भी थक कर चूर हो चुका था….सो हमने स्वामी चुप कराकर अगले दिन मिर्जा के घर, दरअसल यही हमारा अड्डा था,.मे फिर से मिलने का वादा किया….. राम जाने स्वामी रात भर कैसे सो सका होगा……. ये उसकी प्रोबलम है, हम और आप क्यों परेशान हो.

स्वामी का परिचय तो आप को मिल ही चुका है, फिर भी नये पाठको के लिये हल्का सा प्रकाश डाल दे, इनके जीवन पर, पूरा नाम स्वामीनाथन, साथ मे बहुत सारे प्रिफिक्स और सफिक्स, नाम को मारिये गोली, ………………….स्वामी पिछले आठ साल से कुवैत मे है, होमटाउन तमिलनाडु के कंही दूर दराज मे , जब कभी भी इन्होने अपने गांव का नाम बताना चाहा, मिर्जा ने हमेशा टापिक बदल दिया,क्यो?.. अरे यार गांव का नाम ही इतना लम्बा है…..खैर कुवैत आने से पहले दस साल दिल्ली मे रहे…… सो आधे दिल्ली वाले और आधे मद्रासी फिफ्टी फिफ्टी . दोनो जगह अजनबी माने जाते है.एक ही शौक है, क्रिकेट की जानकारी झाड़ने का……हालांकि कभी भी क्रिकेट का बल्ला हाथ मे नही पकड़ा,जब भी हम उनको इस बात की याद दिलाते है तो बोलते है, डालमियां ने कौन सा क्रिकेट खेला था, लेकिन हिन्दुस्तान की क्रिकेट मे उसी की ही चलती है, इनका एक ही सपना है, सचिन तेन्दुलकर सहित पूरी टीम को अपने घर खाने पर बुलाने का….खाने मे इडली,रसम और डोसा खिलाने का…. अब सचिन ठीक होये तो बात की जाये.. जब भी स्वामी सोचते है कि अब फोन करे तब फोन करे, हमेशा पता चलता है कि सचिन अभी भी बीमार है.अब सचिन की अपनी बीमारी है या इनके यहाँ खाना खाने का डर, ये तो सचिन ही जाने.इनका एक और शौंक है, शेयर मार्केट के बारे मे विशलेषण करना, मेरे ख्याल से इन्होने शायद ही किसी कम्पनी के शेयर खरीदे हों कभी, लेकिन शो तो ऐसा करते है कि हर्षद मेहता के बाद इनका ही शेयर का कारोबार है.अब यह हमारी खुशनसीबी कहै या बदकिस्मती, मिर्जा और छुट्टन के बाद इनको झेलना भी हमारी मजबूरी है.

हमने पहले से ही सोच लिया था कि आज स्वामी को आउट औफ फोकस नही देंगे, मिर्जा ने मेरे को इशारा किया कि आज इसको जी भर के बोलने देना,कंही कोई कसक ना रह जाये…..फिर बाद मे इसको ठीक से धोयेंगे….मैने सहमति मे गर्दन हिलायी.खैर जनाब, स्वामी बड़े सलीके से तैयार हो कर मिर्जा के अड्डे पर पहुँचा…..मिर्जा ने छूटते ही पूछा.. “स्वामी आज लुंगी नही पहनी, धोने डाली है क्या?”, वैसे मिर्जा उनको कभी भी स्वामी का उदबोधन नही देते थे,हमेशा मद्रासी कह कर चिढाते थे, मै भी चौका आज मिर्जा ने इतनी नर्मी क्यो बरती…, स्वामी ने हँसते हुए जवाब दिया हाँ, धोने डाली है…. मिर्जा चुप कहाँ रहने वाले थे.. बोले “तुम लुन्गी मे स्मार्ट लगते हो…..यार कब तक एक लुंगी से काम चलाओगे.. एक आध और खरीद लो.”.. बस जनाब इतना सुनते है, स्वामी का पारा हाई हो गया…. जल्दी जल्दी मे हिन्दी तमिल और अंग्रेजी मिक्स करके बोलने लगा……. ये स्वामी की दूसरी कमजोरी थी.. जब वो गुस्से मे होता था तो तीनो भाषाये मिला कर बोलता था.स्वामी ने मिर्जा को लाख लानते भेजी और ढेर सारी तमिल मे गालिया भी.. जो हमारी तो समझ मे ही नही आयीं….हाँ कुछ कुछ हिन्दी और अंग्रेजी वाली बाते हमे समझ मे आयी…..जिसके अनुसार मिर्जा किसी दानव की तरह है और स्वामी को ईश्वर ने इसका दमन करने भेजा है…….. हमने दोनो को समझाया, स्वामी का गुस्सा ठन्डा कराया, उसको पानी का गिलास टिकाया और मिर्जा को चुप कराने के लिये च्विंग‍गम.

मैने मामला बदलने के लिये क्रिकेट का टापिक छेड़ दिया…. जिसमे सिर्फ और सिर्फ स्वामी की एक्सपरटाइज थी….. स्वामी ने तो सबसे पहले गांगुली के मुत्तालिक जबरदस्त भड़ास निकाली, बोले इसको हटा देना चाहिये…. एक ध्यान देने वाली बात यहाँ पर यह है कि मिर्जा हमेशा स्वामी के विपरीत बोलता है, चाहे स्वामी सही कहे या गलत, मिर्जा हमेशा, विपक्ष मे रहता है.. मेरे सामने वाद‍-विवाद प्रतियोगिता होती है, अक्सर जज मै ही बनता हूँ, इसे जज कहना ठीक नही होगा.. बाक्सिंग का रेफरी शायद सही उपमा होगी….जिसको बाक्सरो को छुड़ाने कभी कभी बहुत जोर की पड़ती है.

स्वामी बोलता रहा.. गांगुली ने पूरी टीम का बेड़ा गर्क किया है, खुद अच्छा नही खेल सकता तो दूसरे को भी ठीक से नही खेलने देता है.. हमेशा या तो खुद रन आउट होता है, या फिर दूसरे को करवा कर ही रहता है… जिन्दगी मे कभी भी टास नही जीता… मानो घर से ही सोच कर आता हो,अगर अगली टीम ने बैटिंग करने दी तो ऐसे आउट होउंगा और नही तो बालिंग मे रन पिटवाउंगा ही. मिर्जा ने मेरी तरफ देखा मै मुस्करा दिया और मिर्जा को बोलने की खुजली हो रही थी, लेकिन मैने चुप रहने का इशारा किया.

अगली बारी सहवाग की थी.. स्वामी बोला, जब से शादी की है, तब से बीबी से मिलने की जल्दी रहती है.. मानो बीबी को बोल कर आता है.. डार्लिन्ग तुम बस चाय का पानी चढाओ…मै यूँ गया और यूँ आया….कभी टिक कर खेलना तो सीखा ही नही और टीम है कि उसको झेले ही जा रही है,हटाना चाहे भी तो हटा नही सकती.. क्योंकि सचिन जो टीम से बाहर है आजकल,, हालांकि स्वामी सचिन के लिये भी कुछ बोलना चाहते थे.. लेकिन ना जाने क्या सोच कर खामोश हो गये.सचिन का गुस्सा टीम के फिजियोथैरिप्सिट पर निकला… बोले यह गधा है… इसको आज तक मर्ज ही नही समझ मे आया,पिछले दो महीने से कह रहा है, अगले हफ्ते ठीक हो जायेगा… जाने कब ठीक होगा….अब जाने ये टेनिस एलबो का कौन सा मर्ज पैदा कर दिया है…. क्या जरुरत थी टेनिस खेलने की……अब टेनिस की बाल एलबो पर लग ही गयी ना………मिर्जा और हम स्वामी की नालेज पर मुस्करा दिये.फिर बोले अपना द्रविद ठीक है, लेकिन जब कभी मौका पड़ता है तो चूक जाता है.. फिर वीवीएस लक्ष्मन पर बरसने लगे.. बोले इसका भी यही हाल है..शादी के बाद मेहनत नही होती विकिट पर….

मामला अभी यहीं पर खतम नही हुआ था, बोले युवराज को तो खांमखा मे ही टीम मे रखा है… निकालो बाहर.. क्यो नही कैफ को खिलाते… जाने क्या सोच कर युवराज को खिलतें है… और नगमा भी लगता है फ्री बैठी रहती है… जहाँ युवराज खेलने जाता है… पहुँच जाती है…अब नगमा अगर पवैलियन मे इन्तजार कर रही हो तो कौन नामाकूल विकिट पर पसीना बहायेगा….उतनी एनर्जी बाद के लिये बचा कर नही रखेगा… हम समझ गये.. यहाँ पर सेन्सर करना पड़ेगा नही तो स्वामी तो बात बैडरूम तक ले जायेंगे…. मै बोला स्वामी कुछ बालर्स पर भी तो बोलो……स्वामी का चेहरा खिल उठा, बोले बहुत दिनो बाद बालिंग मे इन्डिया ठीक चल रहा है.. बस अपना बालाजी वापस आ जाये.. ना जाने कौन सा मर्ज है उसको.. पहले बोलते थे पेट खराब है..अब बोलते है हड्डी खिसक गयी है……भगवान जाने कौन सही है कौन गलत.

और अपना पठान सही काम कर रहा है..बाकी बौलर्स तो चार ओवर फेंक कर टैं बोल जाते है… मै समझ गया उनका इशारा नैहरा की तरफ था.बोले जाने कब ठीक रहता है, फिर जाने कब बीमार हो जाता है.. फिर ना जाने कब पता चलता है कि फिर से ठीक हो गया है…..अचानक उनको ओपनर्स की याद आयी… बोले पार्थिव को भेजना चाहिये सहवाग के साथ… और गागुंली को पार्थिव की जगह पर खेलना चाहिये…..वीवीएस अगर नही जम पा रहा है तो कुछ दिन आराम कराना चाहिये…. मै बोला गांगुली पर कभी तरस नही आता तुम्हें? बेचारे के पास च्वाइस भी तो लिमिटेड है.. स्वामी बोला… होंगी लिमिटेड.. लेकिन खिलाड़ियो मे जोश पैदा करना उसका काम है… खुद तो सारा दिन चेहरा लटका कर नाखून चबाता रहता है.. दूसरो से भी वही उम्मीद करता है, ऐसे बन्दे पर क्यो तरस खाये.

मै समझ गया आज स्वामी को हम लोग जवाब नही दे पायेंगे… मिर्जा ने कुछ फिकरे कसे थे.. लेकिन स्वामी ने सभी फिकरों का मूंहतोड़ जवाब दिया…देखा जाये तो स्वामी का क्रिकेट टीम के प्रति गुस्सा जायज है.. हम लोगो ने इन्हे भगवान सा दर्जा दे रखा है, और हमेशा ये हमे नीचा दिखाते है.

2 responses to “स्वामी का क्रिकेट प्रेम”

  1. तरीके मे कभी भी बदलाव नही आता. इस पर स्वामी और पप्पू भइया को बड़ी चिढ होती है, पà […]

  2. […] ५.आपकी पसँद की कोई दो पुस्तकें जो आप बार बार पढते हैं. अपनी खाली पासबुक और भरी चैकबुक। हीही… । रजनीश की किताबें, उडियो पंख पसार मुझे बहुत पसन्द आयी। शिव खेड़ा की लिविंग विद ऑनर मुझे अच्छी लगी। लेकिन बार बार नही पढता, आजकल समय ही नही मिलता। आफिस, चिट्ठाकारी और घर के बाद समय बचता ही कहाँ है। ऊपर से मिर्जा के यहाँ शाम की हुक्केबाजी, किरकिट स्वामी की घिटपिट समय ही कहाँ है। हाँ सफर करते समय मै काफी पढता हूँ, अक्सर पढता हूँ। कई कई बार मन मे ख्याल आता है कि अपनी मनपसन्द किताबे उठाकर किसी सुनसान द्वीप पर चला जाऊं, जहाँ समुन्दर की लहरें हो और साथ मे मेरी मनपसन्द किताबें (How unromantic?) । लेकिन शायद ये ख्बाव, ख्बाब ही रहेगा, हकीकत नही बन सकता। लेकिन क्या पता….भविष्य किसने देखा है। […]

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