अरे॓ नही रे! अभी अगस्त नही आया, मै तो अपनी स्वतंत्रता की बात कर रहा हूँ, बेगम साहिबा हिन्दुस्तान तशरीफ ले गयी है, हालांकि मेरे को भी पद्रह दिनो बाद हिन्दुस्तान मे दिखने की ताकीद कर गयीं है, इसका मतलब है कि पंद्रह दिनो के लिये तो मै आजाद हूँ ही, पंकज भाई के शब्दों मे बोले तो हमारा स्टेटस अब ‘छड़े ‘ वाला हो गया है.
अब हमारे यहाँ कुवैत मे मई से लेकर अगस्त तक का मौसम तो छड़ों का ही होता है, आधे से ज्यादा कुवैत खाली हो जाता है, हर जगह बन्दे बन्दे दिखते है, जगह जगह छड़ो की पार्टियाँ होती रहती है.अब जब बीबी घर पर नही, फिर तो समझो कि घर पर राज हमारा है, जैसे चाहे खाओ पियो और जैसे चाहो जियो, कोई टोकने वाले नही. हालांकि बीच बीच मे हिन्दुस्तान से बेगम साहिबा के फतवे जारी होंगे, फिर भी इम्पलीमेंटशन करना या ना करना तो हमारे हाथ मे ही है ना.
वैसे इस समय आपके पास काफी टाइम होता है, अपने आपको वक्त देने का, अपने शौंक पूरे करने का,ब्लाग लिखने का और तो और मनपसंद खाना बनाने…..सारी जलाने और फिर किसी तरह उसको खानें का. अच्छा कुक तो मै कभी ना बन पाया, अपनी चाय बना लेता हूँ, हाँ उसमे एक्सपर्टाइज है, साथ मे बस कोई सैन्डविच वगैरहा बना सकता हूँ, अब तो बस छुट्टन का ही सहारा है, उस पर भी कोई धुन सवार है, उसने अपने मिर्जा साहब की नाक मे दम कर रखा है इसका खुलासा मै निरन्तर पर करूंगा.
हमारे दोस्तों मे एक नियम बना है, जिसकी बीबी इन्डिया जाती है, वो दूसरे दोस्तों को पार्टी देता है, बदले मे सारे दोस्त यार पूरा महीने उसके खाने पीने…..(पीने का मतलब पीने से ना लगाया जाय) का प्रबन्ध करते है. तो भइया अब हमारी बारी है, और वीकेन्ड भी है. तो हम तो चले दोस्तों को दावत देने. मिलते है फिर, जल्द ही, और हाँ अब आप लोग तैयार हो जाइये, हमारी ब्लाग एक्सप्रेस को झेलने के लिये.
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