क्या आप सपने देखते है?
क्या कभी आपने एक ही सपना बार बार लगातार देखा है?
इन सपनों का मतलब क्या होता है?
क्या किसी सपने की व्याख्या की जा सकती है?
सपनें हमारी जिन्दगी मे बहुत महत्व रखते है. गाहे बगाहे अच्छे बुरे सपने हमारे दिलो दिमाग पर कुछ असर छोड़ ही जाते है. बच्चे अक्सर डरावना सपना देखकर नींद से उठ जाते है. बुजुर्गों का क्या कहा जाये, उन्हे तो नींद ही नही आती, जब आती भी है तो सपनें बामुश्किल ही आ पाते है. सपनों पर वैज्ञानिको ने काफी रिसर्च की है. सुना है इन्सान जो दिन के उजाले मे नही पा पाता वो सपनों मे ढूँढने की कोशिश करता है, हालाँकि वैज्ञानिक इस बात से पूरी तरह से सहमत नही है, कुछ वैज्ञानिक मानते है कि सपने शरीर की स्थिति पर निर्भर करता है, यदि आपको एसिडिटी है या पेट साफ नही है तो आपको अनचाहे और डरावने सपने आ सकते है, उसी तरह से यदि दिमाग मे कोई उलझन है तो आपके सपनों मे वो उलझन जरूर दिखेगी. खैर जनाब! हम क्यों वैज्ञानिको के चक्करो मे पड़े, चलिये हम तो बात करते है अपने सपनों की.
मै आपको अपनी बात बताता हूँ, काफी समय पहले कई सालों तक मैने एक ही सपना लगातार और बारबार देखा था, हालाँकि उस सपने से मेरा दूर दूर तक वास्ता नही था. वो जगह मैने कभी नही देखी, लेकिन सपनें मे मैने उस जगह का चप्पा चप्पा छान मारा है. और सपना भी अगर बताने बैठूँ तो एकदम रामसे ब्रदर्स की हारर फिल्मो का सीन बन सकता है.मैने कई विद्वानों को सपने के बारे मे बताया, लेकिन हर बन्दे ने अपने अपने नजरिये से सपने की व्याख्या की. अब आप भी इस सपने को झेलिये.एक बात मै बताना चाहूँगा कि इस सपने का एक एक शब्द सच्चा है, आप विश्वास करे या ना करें लेकिन मैने इस सपने को बार बार देखा है.
“मैने सपने मे अपने आपको एक पहाड़ी की तलहटी मे पाया, आधी रात का समय है, माहौल शान्त है……., छाया है घनघोर अन्धेरा………………..और बादल है कि माँ की तरह बार बार चाँद को अपने आगोश मे समेटने की कोशिश कर रहे है और चाँद है कि नटखट बच्चे की तरह बार बार बादलों की बाँहो से भाग निकलता है. बादलों और चाँद के इस लुकाछिपी के खेल से कभी कभी कुछ चाँदनी बिखर जाती है और तलहटी रोशन हो जाती है.लेकिन वो भी सिर्फ थोड़ी देर के लिये. ……………माहौल मे सन्नाटा है, घनघोर सन्नाटा………… इस सन्नाटे की चीरती हुई बीच बीच मे कंही छींगुरों की आवाज आती है, लेकिन थोड़ी ही देर मे बन्द हो जाती है. कंही दूर से कुछ आवाजे आने की कोशिश करती है लेकिन शायद हवा उनको कंही और बहा ले जाती है………….. हवा भी मध्यम गति से बह रही है, लेकिन हवा सर्द है, और बीच बीच मे शरीर मे सिहरन पैदा कर रही है…………………मै अभी नीचे घाटी मे ही हूँ, शायद कुछ ढूँढ रहा हूँ, क्या ये नही पता. अचानक मेरे को कुछ दूरी पर पहाड़ी की पगडन्डी पर एक आकृति दिखायी देती है.साफ साफ कुछ समझ मे नही आता कि वो कौन है, पुरूष है या स्त्री, लेकिन ये बात तो पक्की है कि उसने कुछ ऐसा पहन रखा है जो बीच बीच मे चमकता है. मै ना जाने क्या सोचकर उसके पीछे पीछे चल पड़ता हूँ. धीरे धीरे मेरा और उस परछाई का फासला कम होने लगता है, लेकिन जैसे ही मै उसके पास पहुँचता हूँ वो परछाई किसी मोड़ पर मुझे काफी दूरी बना लेती है. पहाड़ी रास्ता है, कई मोड़ों से होकर गुजरता हुआ, कुछ कुछ पथरीला है लेकिन कोई अनजानी शक्ति मेरे को रास्ते पर कुछ रोशनी दिखा रही है. अब ये सोचने का वक्त नही था कि ये रोशनी कहाँ से आ रही है. मै उस परछाई के पीछे पीछे पहाड़ के दूसरी तरफ पहुँचता हूँ, तो पाता हूँ कि पहाड़ अन्दर से खोखला है, और वंही कहीँ एक गुफानुमा रास्ता पहाड़ के अन्दर जाता है. उस गुफानुमा रास्ते पर बढते हुए मै पहाड़ के अन्दर पहुँचता हूँ, वो जगह एक खन्डहर की तरह से है, कुछ टूटे हुए बर्तन दिखते है, कंही एक लालटेन दिखती है, जो तेल ना होने की वजह से बुझ गयी है शायद, जगह जगह मकड़ी के जाले दिखते है. पथरीला फर्श, लगता है बरसों से यहाँ कोई नही आया.मै भी बेखुदी मे परछाई को ढूँढते ढूँढते आगे बढ रहा हूँ. आकृति अब परछाई से निकल कर एक खूबसूरत सी महिला की तरह दिखती है, जिसने राजसी परिधान पहन रखे है, शायद वो कोई राजकुमारी सी है, लेकिन चेहरा मै ठीक से नही देख पाता, क्योंकि ना जाने क्यों उसका और मेरा फासला कम होता नही दिखता.उसका पीछा करते हुए आगे जाने पर मेरे को एक कारीडोर दिखता है.कारीडोर मे दोनो तरफ उजाला करने के लिये मशालें लगी हुई है, लेकिन वे सभी बुझी हुई है, लेकिन फिर भी मेरे को अपने कदमों के आगे रोशनी दिख रही है और मुझे चलने मे कोई परेशानी नही हो रही. कारीडोर से मुड़ते मुड़ते मै एक हाल मे आ पहुँचता हूँ, जहाँ पर हाल के बीचो बीच दो ताबूत पड़े है, इन ताबूतो पर काफी धूल दिख रही है.लेकिन एक अजीब से बात दिखती है, ताबूतों के आगे एक बड़ी सी मोमबत्ती जल रही है. अचानक वो परछाई कंही गायब हो जाती है, और मै ताबूत के पास खड़ा दिखता हूँ और सपना टूट जाता है. इसी तरह से मेरे को यही सपना बार बार लगातार आता था, सपने मे मैने पहाड़, तलहटी और वहाँ का पूरा एरिया देख मारा, कभी वो परछाई मेरे को पहाड़ की चोटी पर दिखती है, कभी तलहटी मे तो कभी पहाड़ी की पगडन्डी मे, लेकिन सपने का अन्त अक्सर ताबूत के पास ही होता है. पहाड़, तलहटी, गुफा, खन्डहर,हाल,दो ताबूत, एक परछाई और सपने का अन्त. ना जाने वो परछाई मेरे को क्या मैसेज देना चाहती थी.”
वैसे तो इन्टरनैट पर भी सपनों की व्याख्या करने के लिये बहुत सारी वैब साइट्स है, लेकिन कोई भी साइट मेरे सपनें की परिपूर्ण व्याख्या नही कर सकी
तो भाई लोगों, है कोई जो मेरे इस सपनें की व्याख्या कर सके?
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