शापिंग मॉल मे आपाधापी

कल का दिन ही खराब था यार! अच्छे खासे बैठे थे, जबरदस्ती मिर्जा दरवाजे पर अवतरित हुए। साथ मे छुट्टन भी थे।हम जब तक पूछते पूछते कि क्या है, मिर्जा ने अन्दर घुसते ही, किचन की तरफ़ जोरदार आवाज लगायी कि भौजी,हम चौधरी को लिवा ले जा रहे है।हम जब तक कुछ पूछते पाछते, तब तक तो हमारा अपहरण हो चुका था।इस तरह हमको जबरद्स्ती मिर्जा साहब अगुवा कर गए। बोले छुट्टन के साथ शापिंग मॉल मे चले जाओ।क्या कहा? मिर्जा और छुट्टन को नही जानते? लाहौल बिला…….आप तो मेरा पन्ना की शान गुस्ताखी कर रिए हो।खैर मिर्जा और छुट्टन के लिंक पर क्लिक करके उनके बारे मे पढे।

हम बोले छुट्टन वैसे भी किसी से नही सम्भलता है, हम काहे को रिस्क लें। लेकिन मिर्जा अड़ गए तो हमको भी हथियार डालने पड़ गए,हमने शर्त यह रख दी कि मिर्जा भी साथ मे लटक लें।छुट्टन मियां वैसे तो बहुत समझदारी का मुज़ाहिरा करते है, लेकिन कभी भी किसी की नही सुनते है।अक्सर ओवर कान्फ़िडेन्स मे रहते है।कभी कभी इनकी यही समझदारी या कहिए नादानी बड़े बड़े पंगे करवा देती है। अब कल की लो:
trolleyहम तीनो शापिंग मॉल पहुँचे, वहाँ बाकी सामान खरीदा, बस सब्जी मार्केट से निकलते निकलते छुट्टन ने तीन बड़े बड़े तरबूज खरीद लिए।पता नही क्यों हमारे दिमाग मे एकदम से स्पार्क हुआ, लेकिन फिर भी हम कुछ नही बोले।छुट्टन मिंया को मैने समझाया कि इसको करीने और हिफ़ाजत से शापिंग ट्राली के अन्दर रख दो। छुट्टन ने मेरी बात इधर से सुनी और उधर से निकाल दी। छुट्टन मिंया ने तरबूज एक के बाद, ट्राली के निचले तल मे रख दिए।सब्जी मार्केट, प्रथम तल पर है, वहाँ से नीचे ऊपर जाने के लिए एस्कलेटर(आटोमेटिक सीढियां) है। अक्सर जब भी आप अपनी ट्राली के निचले हिस्से पर कुछ रखते है तो वापस उतरते वक्त सावधानी के लिये आपको ट्राली उल्टी तरीके से लानी होती है,ताकि निचले तल का हिस्सा ऊपर की तरफ़ रहे। मैने छुट्टन को आंखे दिखायी तब भी वो नही माना। नतीजा छुट्टन ने ट्राली सीधे सीधे आटोमेटिक सीढियों पर धकेल दी।

फ़िर क्या था, तरबूज एक एक करके एस्कलेटर पर फिसल गए,जैसे जैसे तरबूज नीचे जाते जा रहे थे, लोगो के पैरो मे बहु्त जोरों से लगती, बन्दा कराह कर, अपना पैर हटा लेते, जैसे ही पैर हटाते, तरबूज और तेजी से नीचे की तरफ़ भागता।अभी बन्दा सम्भलता कि दूसरा तरबूज आ जाता, उससे बच पाता कि तीसरा। कुल मिलाकर।कुल मिलाकर अफ़रा तफ़री का माहौल था।हर तरफ़ अरबी मे गालियां दी जा रही थी।हम तीनो नमूने दिख रहे थे, सारे लोग हमारी तरह कोप नजरों से देख रहे थे। इधर तरबूजों के गिरने का क्रम नही थमा, नीचे फ़र्श पर भी वही होता रहा। तरबूज लोगों के पैरों पर जोरदार तरीके से टक्कर मार रहे थे।लोग तरबूजों से बचने के लिये इधर उधर हटने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन फिर भी तरबूज उनसे टकरा ही रहे थे।इधर तरबूज भी लुढक लुढक कर शहीद हो चुके थे, और पूरे फर्श पर खूना खून(मतलब तरबूज का रस यार)। जिन्होने ने नजारा देखा था, वो लोग अंगुलियां उठा उठाकर हम लोगों को गालियां निकाल रहे थे। जिनको नही पता वो लोग बड़े सहमे सहमे से दिख रहे थे, सोच रहे थे, कि कोई भयंकर एक्सीडेन्ट हो गया है।

सारे लोग हम लोगों को ऐसे देख रहे थे, जैसे हमने कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो। किसी तरह से छिपते छिपाते हम चुपचाप लोग पेमेन्ट काउन्टर पर, चैक आउट करके बाहर निकले।बाहर निकलते है मिर्जा ने छुट्टन को बहुत जोर का कन्टाप रसीद किया और बोले चल बेटा घर, इन्ही तरबूजों से तुमको मारूंगा।मिर्जा ने तो हमे भी इन्वाइट किया, इस एकल युद्द मे शामिल होने के लिये, लेकिन हम हाथ जोड़ दिए। वापसी मे मिर्जा ने हमे हमारे घर पर उतारा।रास्ते मे मिर्जा ने अपना गुस्सा नेताओं पर निकाला उसके बारे मे पढते रहिए मेरा पन्ना।

7 responses to “शापिंग मॉल मे आपाधापी”

  1. सुनील और आर.सी. Avatar
    सुनील और आर.सी.

    जीतू जी, आप का विसिटर्स काऊँटर कहता है कि इस समय आप के “मेरा पन्ना” पर इटली से एक पढ़ने वाला है, पर यह आप के काऊँटर के गलती है क्योंकि यहाँ तो हम लोग दो हैं, मैं और मिश्र जी. कृपया अपने काऊँटर को तुरंत ठीक करवाईये.
    सुनील और आर.सी.

  2. अनूप शुक्ला Avatar

    तीन आदमी थे ,तीन तरबूज थे।एक-एक कंधे पर लादे लिये होते।लेकिन तुम तो अलालों के अलाल ठहरे। अरे वहीं खा के खतम करते। ये ‘नुसकान’ तो न होता।

  3. पंकज Avatar

    बाई गॉड जीतू जी क्या कांड करते हो। आगे से एलिवेटर ले कर आना।

    पंकज

  4. Amit Gupta Avatar

    छुट्टन मियां ने तो सिचुएशन को ही एस्कलेट कर दिया जी, सीन वाकई देखने वाला होगा!! 😉 😀

  5. अतुल Avatar

    मेरा सिर्फ यही कहना है कि स्वागत है जीतू भाई हिंदी ब्लागजगत में वापसी का। अब चाहे कोई त्योरियाँ चढ़ा के पूछे कि जीतू भाई ने न तो सन्यास लिया था न अवकाश ब्लागिंग से तो फिर यह वापसी के मँगलगान क्यों। भाई इसलिये कि मुझे तो जीतू भाई महीनों बाद पुराने रँग में दिखे हैं। अब तक वह पुरानी कलम जिसके हम सरीखे न जाने कितने मुरीद हैं , चर्चा फोरम और जुगाड़ी शगूफों के पता नही किस बियाबान में खो गई थी। जीतू भाई, घँटाघर स्टेशन की कसम है यह वापसी अब स्थायी होनी चाहिये।

  6. e-shadow Avatar

    अरारारा, ये क्या नजारा रहा होगा?

  7. समीर लाल Avatar

    🙂
    वाह, जीतू भाई, क्या करते हैं आप भी..!! 🙂

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