आज वैलेन्टाइन डे है, यानि कि प्रेमी युगलों का एक दूसरे से प्रेम के इजहार का दिन,एक दूसरे को प्यार भरे तोहफे आदान प्रदान करने का दिन.वैलेन्टाइन दिवस पूरी दुनिया मे मनाया जाता है, यहाँ तक की कट्टर इस्लामिक देशों मे भी सभी लोग इसे अपने अपने स्तर पर मनाते है और अपने अपने प्रेमी प्रेमिका के साथ अपनी शाम रोशन करते है. अब सुनिये भारत मे इस त्योहार को मनाने पर शिवसेना और बजरंग दल वालो ने पाबन्दी लगा रखी है. मै आज ही स्टार न्यूज और अन्य चैनैल देख रहा था जिस पर इन दलों के लोगो द्वारा बार बार बताया जा रहा था कि इस तरह के वैलेन्टाइन दिवस मनाने की हमारे यहाँ कोई प्रथा नही है, ये हमारी संस्कृति नही है, इसलिये हम इसे नही मनाने देंगे.
काहै भाई, सारे हिन्दुस्तान का ठेका आपने ले रखा है क्या?
यदि आप लोगो को वैलेन्टाइन दिवस मनाने से रोक लेंगे तो क्या देश मे अश्लीलता पर रोक लग जायेगी?
आप किस हक से किसी पर रोक लगा रहे है?
इसका एक और पहलू भी है, वैलेन्टाइन दिवस के नाम पर काफी संख्या मे युवक युवतियाँ पश्चिमी सभ्यता की नकल करते हुए काफी फूहड़ता के साथ अपने प्रेम का इजहार सार्वजनिक रूप से करते है. जो सचमुच गलत है और जिसे रोका जाना जायज है, लेकिन यह रोक प्रशासन की ओर से होनी चाहिये ना कि इन तथाकथित समाज के ठेकेदारों की तरफ से.
अगर देखा जाये तो प्रेम और प्रेम का इजहार भारतीय संस्कृति मे कंही पर भी वर्जित नही है ना ही इसके लिये साल मे कोई एक दिन मुकर्रर है.हमारी संस्कृति मे प्रेम तो सर्वत्र है यानि हर जगह मौजूद है मुझे समझ मे नही आता कि जब प्रेमी प्रेमिका दोनो राजी है तो ये लोग कौन है लट्ठ लेकर घूमने वाले. भारतीय संस्कृति के ये तथाकथित ठेकेदार तब कहाँ सोते रहते है जब स्कूलों मे एमएमएस बन रहे होते है या फिर गली गली ब्लू फिल्मो के रैकिट चल रहे होते है, या फिर टेलीविजन और फिल्मों वाले ऐसी गन्दी फिल्मे और ट्रेलर दिखाते है कि परिवार के साथ बैठकर देखने मे भी शर्म आती है.
बकौल मिर्जा साहब “इनकी सारी कवायद न्यूज चैनलो पर पब्लिसिटी बटोरने और किसी निर्दोष प्रेमी युगल को पीटने और उनसे गिफ्ट छीनने तक ही सीमित होती है. शाम को यही विरोध करने वाले दारू पीकर,प्रेमी युगलो से छीना हुआ गिफ्ट लेकर अपनी वैलेन्टाइन के दरवाजे पर दिखायी देते है.जब वे खुद रात के अन्धेरे मे ये काम करते है तब उनको कुछ भी संस्कृति के खिलाफ नही दिखता. अरे संस्कृति की झूठी दुहाई देने वालों लड़ना है तो गरीबी के खिलाफ लड़ो, बढती जनसंख्या के खिलाफ लड़ो, बेरोजगारी के खिलाफ लड़ो,अज्ञानता और अशिक्षा के खिलाफ लड़ो, अपनी ऊर्जा यूँ खामखाँ मत ज़ाया करो.”
Leave a Reply