मेरा पन्ना के पाठको को और उनके परिवार को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। सफ़लता हमारी राह देख रही है। आइए हम बदलते भारत के साथ, सफ़लता की ओर अग्रसर हो। जय हिन्द
वन्दे मातरम
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्य श्यामलां मातरम् ।
शुभ्र ज्योत्स्न पुलकित यामिनीम
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् ।
सुखदां वरदां मातरम् ॥ वन्दे मातरम्…
सप्त कोटि कन्ठ कलकल निनाद कराले
निसप्त कोटि भुजैब्रुत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीं नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीं मातरम् ॥ वन्दे मातरम्…
तुमि विद्या तुमि धर्मं, तुमि ह्रदि तुमि मर्मं
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
ह्रदये तुमि मा भक्ति,
तोमारे प्रतिमा गडि मंदिरे मंदिरे ॥ वन्दे मातरम्…
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् ॥ वन्दे मातरम्…
श्यामलां सरलां सुस्मितां भुषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् ॥ वन्दे मातरम्
-बंकिम चन्द्र चटर्जी
वन्दे मातरम सबसे पहले उनके बांग्ला उपन्यास आनंदमठ में 1882 में प्रकाशित हुई और जल्द ही भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गयी।हर जुबान पर बस वन्दे मातरम का ही नारा था।
पेश है तिरंगे का एक अनोखा रूप
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सभी चित्र साभार: isaunl
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