आप सभी को लोहड़ी, मकर संक्रान्ति और पोंगल की बहुत बहुत शुभकामनायें.
सुबह सुबह श्रीमतीजी ने लकड़िया अरैन्ज करने का आदेश दिया, अब सारा दिन तो निकल गया आफिस मे लकड़िया का खाक अरैन्ज करते. शाम होते होते पारा चढते देख, हम भी होंश मे आये, अगल बगल पूछा, लोग बाग हैरान हो रहे थे, हर साल, होली के थोड़ा पहले ये बन्दा लकड़ियाँ क्यो इकट्ठा करता है. खैर जनाब ये भला हो करीम भाई बकाले वाले (कुवैत मे ग्रासरी शाप को बकाला बोलते है) जिसने फ्रूट के लकड़ी वाले डब्बे दे दिये…इस तरह से लकड़ियों का जुगाड़ हुआ. अब मसला था जलाये किस पर, सारे घर मे तो कारपेट है, बची बालकनी की जगह उसमे टाइल्स खराब हो गयी तो एक और पंगा हो जायेगा. सो जनाब हमने उसका भी जुगाड़ ढूंढा, अपने गैस स्टोव की बार्बे क्यू वाली ट्रे पर लोहड़ी जलायी और खूब मस्ती की…
अभी लोहड़ी की रात को फिर से हंगामा हो गया….मिर्जा साहब लटक गये, बोले कि हम भी डान्स करेंगे. उनके डान्स करने से किसी को क्या शिकायत हो सकती थी, बस तरीके से जरूर शिकायत थी.दरअसल मिर्जा को सिर्फ एक ही तरह से डान्स करना आता है. ऊपर से तुर्रा ये कि डान्स करते करते पूरी तरह से खो जाते है, कब गाना शुरु हुआ कब खत्म हुआ, होंश ही नही रहता एक और बात डान्स के तरीके मे कभी बदलाव नही आयेगा, स्टैप्स वही रहेंगे आप चाहे कोई भी गाना लगा दो, भले ही पीछे न्यूज चल रही हो, मिर्जा डान्स वैसा ही करते रहेंगे. अब चाहे “काँटा लगा” चल रहा हो या फिर “इस दिल के टुकड़े हजार हुए”, मिर्जा के डान्स के तरीके मे कभी भी बदलाव नही आता. इस पर स्वामी और पप्पू भइया को बड़ी चिढ होती है, परेशानी तो हमको भी होती है, लेकिन बुजुर्ग आदमी है कुछ कहा नही जाता.
तो जनाब हुआ यौं कि लोहड़ी वाली रात जब “सुनदरिये नी मुनदरिये” और “लइया पट्टी वाला होय” हो रहा था, तो मिर्जा बमक गये, बोले हम तो डान्स करेंगे……हमने बहुत समझाया कि देखो भइया, अब तुम्हारी काया इस बात की इजाजत नही देती कि तुम डान्स जैसे वेन्चर मे हाथ डालो, बोले नही हम तो करेंगे. फिर तो शुरु हो गये…पहले पहले तो किसी रिमिक्स पर शुरु हुए…लेकिन मार पड़े छुट्टन मिंया पर जिन्होने गाना बदल दिया और लगा दिया “इन्ही लोगो ने ले लीना दुप्पटा मेरा”, इधर मिर्जा डान्स कर रहे थे, उनको गाना बदलने का पता ही नही चला, और हम सब हँस हँस कर बेहाल हुए जा रहे थे.बात यही पर खत्म नही हुई, पप्पू भइया ने इनकी वीडियो भी बना दी है.
डान्स डून्स और खाने पीने के बाद मामला चर्चा पर शुरु हुआ, सबसे पहले तो मिर्जा ने हजार लानते भेजी बहन मायावती पर. क्यों अरे भाई मायावती ताज कारीडोर के मामलो से बरी जो हो गयी और फिर शुरु हो गयी चन्दा वसूलने, अपने चाहने वालों से. फिर बात बिहार चुनावो पर पहुँची, पप्पू भइया लालू यादव की बुरायी सुनना ही नही चाहते थे, सो उठकर जाने लगे, हम लोगो ने किसी तरह से पकड़कर उनको बिठाया. बिहार के चुनाव पर मिर्जा की विशेष प्रतिक्रिया तो बाद के ब्लाग मे आयेगी ही, अभी सुनिये कुछ छोटी सी प्रतिक्रिया.
मिर्जा बोले “बिहार का चुनाव हर पार्टी अपने बाप का माल समझ कर,खैरात की तरह बाँट रही है.जनता की तो कोई कौनो सुन ही नही रहा है.राजद कहता है कि हम कांग्रेस के खिलाफ दोस्ताना संघर्ष करेंगे उधर लोक जनशक्ति पार्टी भी यही कह रही है, जनता दल यू कह रही है हम लोक जनशक्ति पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार नही खड़ा करेंगे और बीजेपी और जनता दल यू तो साथ साथ लड़ ही रहे है. जो जनाब जब सभी लोग दोस्ताना कर रहे है तो कौन किसके खिलाफ लड़ रहा है.जनता का तो दिमाग ही चकरा रहा है, कौन किसका दोस्त है और कौन किसका विरोधी.सभी एक से बढकर एक घाघ है, सभी जानते है जो ज्यादा सीटे पायेगा, सभी मक्खी की तरह उसके आसपास मँडरायेंगे…बिहार का विकास ना कभी पहले हुआ था, और ना ही कभी हो पायेगा. उम्मीद है कि इन समीकरणो मे लालू अपना दबदबा कायम रख पायेंगे और चुनाव बाद लोजपा,राजद और कांग्रेस की मिलीजुली सरकार बनेगी.
“उधर झारखन्ड मे मामला बीजेपी के विरोध मे दिखता है, मरान्डी और मुन्डा के आपसी कलह की वजह से यह प्रदेश भी बीजेपी के हाथ से जाता दिख रहा है. उम्मीद है कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा अपने सहयोगियों के साथ सरकार बना सकेगा.
और लालो के प्रदेश हरियाणा का क्या कहें, चौटाला बहुत गम्भीर स्थिति मे है, सरकार से तो बाहर पक्का होंगे…लेकिन कांग्रेस के लिये राह आसान नही है, जीतने की स्थिति मे मुख्यमन्त्री पद के कई दावेदार है, और बीजेपी तो कंही भी दूर दूर तक नही है.आने वाले समय मे हरियाणा की राजनीति के काफी उतार चढाव आयेंगे.
श्रीमतीजी के इशारा करते ही हमने पार्टी समेटने की प्रक्रिया शुरु कर दी, अगले दिन पिकनिक पर जो जाना था भइया….पिकनिक की बाते फिर कभी.
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