अब लीजिये जनाब फिर से तू तू मै मै चालू हो गयी, इस बार अपने रामबिलास पासवान और लालू यादव है आमने सामने. लालू यादव जो पहले से ही पासवान से चिढे बैठे थे , और उनकी पार्टी को गुन्डो की पार्टी बताते थे, ने अब नया शगूफा छोड़ा है, कि पासवान ने क्रेन खरीद मे घोटाला किया है वो भी पूरे पूरे आठ अरब रूपये का……राम राम लालू जी ये? पासवान क्या आपसे भी आगे निकल गये क्या? ये तो बहुत सोचने वाली बात है. अरे भाई मिल बांट के खाओ, कौन पूछने वाला है आगे पीछे.तभी तो सारे बिहारी नेता रेलवे मिनिस्टर बनने की फिराक मे रहते है, बहुत मलाईदार मंत्रालय है भाई.
पासवान का जवाब बहुत ही लाजिकल है, पासवान कहते है कि जब तक पप्पू यादव लालू के साथ थे तब वो गुन्डे नही थे, पासवान के साथ आते ही गुन्डे कैसे हो गये. और चारा चोर लालू, दूसरो पर कीचड़ ना उछाले, और फिर चुनौती देते है कि अगर घोटाला साबित हो जाये तो राजनीति छोड़ देंगे, वगैरहा वगैरहा.
हमने अपने राजनीतिक एक्सपर्ट मिर्जा साहब से इस बारे मे राय जानना चाही, मिर्जा बोले, देखो बरखुरदार लालू तो वैसे ही खार खाये बैठा है, बिहार मे पासवान को “बिहार बचाओ” रैली को सफलता जो मिल गयी है.दरअसल सारा खेल मुसलमान वोट बैंक का है, पासवान और लालू दोनो MY यानि मुसलमान और यादव वोट बैंक का खेल खेलते है, अगर मुसलमान वोट बैंक हाथ से खिसक गया तो लालू को बिहार की सत्ता छोड़नी पड़ेगी और फिर लालू का क्या हल होगा, ये तो जग जाहिर है, इसलिये वो पासवान के हर वार का जवाब देने से नही चूक रहे है.उधर पासवान भी जानते और समझते है कि अकेले वो लालू का कुछ भी नही बिगाड़ सकते जब तक लालू विरोधी मोर्चा नही बनता तब तो लालू बिहार मे विजयी रहेंगे. दोनो लोग लगे पड़े है जबानी जमाखर्च करने मे.
पासवान की दिक्कतें है कि अगर नीतिश कुमार और बीजेपी से हाथ मिलाते है तो मुसलमान वोट लालू के पाले मे चले जायेंगे, और नही करते है तो अकेले तो उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो जायेंगी और मुख्यमंत्री बनने का सपना धरा का धरा रह जायेगा. इसलिये कांग्रेस को पटाने की कोशिशें जारी है. उधर लालू ये सब बहुत अच्छी तरह से जानते है, और वो जान बूझ कर पासवान को उकसा रहे है, इसे कहते है चने के झाड़ पर चढाना, ताकि पासवान अपने आपको बिहार मे बड़ी ताकत समझें और किसी से गठबन्धन ना करे, इसी मे लालू का फायदा है. सो चालू है गाली गलौच का सिलसिला…… आप भी
इन्जवाय कीजिये, हम तो कर ही रहे है.
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