मुशर्रफ मनमोहन मैच

जहाँ एक तरफ ICC ट्रोफी के मैच बदमजा हो गये थे, वही दूसरी तरफ एक और मैच शुरू हो चुका था, जी हाँ मुशर्रफ मनमोहन मैच

कभी हा कभी ना.. करते करते आखिर मनमोहन सिंह, राष्ट्रपति परवेज मुशरर्फ से मिल ही लिये, वो भी न्यूयार्क की सरजमी पर. लेकिन दोनो को हासिल क्या हुआ? देखिये पहली मुलाकात मे तो आप सब कुछ नही पा सकते है. ये अन्तर्राष्टीय कूटनीति भी बहुत संयम का काम है, जो संयमी वो ज्यादा फायदे मे. जहाँ तक मुशर्रफ साहब का सवाल है, वो मनमोहन सिंह से ज्यादा चालाक है, इस बार उनको मन की मुराद मिल ही गयी, कश्मीर को मुख्य मुद्दा बना कर, और ऊपर से संयुक्त बयान मे सीमा पार आतंकवाद का कोई जिक्र तक नही है, और तो और कश्मीरियो की इच्छा तक का जिक्र नही है. तो फिर मनमोहन ने क्या पाया? पाया ना… उनके पुराने स्कूल का नाम उनके नाम पर किया गया…. उनके दूसरे क्लास का रिपोर्ट कार्ड बड़े ही करीने से,नफासत के साथ उनको पेश किया गया..(पाकिस्तानी इस काम मे तो माहिर है ही), मनमोहन तो वैसे ही गद् गद् हुए पड़े थे तभी तो संयुक्त बयान को ध्यान से पड़ने का समय नही मिला. लेकिन नटवर सिंह को क्या हो गया था? उनके कूटनीति मे हुए सफेद बालो की कसम, इस बार हम चूक गये. लेकिन इस बार क्या ऊपर(बुश अंकल) से कोई दबाव था? यकीनन.

खैर अब जब मनमोहन सिंह ने मान लिया है कि कश्मीर मे कोई आतंकवाद ही नही है, बस आजादी की लड़ाई है और बस थोड़ा सा सीमा विवाद का मुद्दा है तो हल भी तैयार ही होगा. जैसे शिमला समझौता भारत की कूटनीतिक जीत थी, वैसे ही यह संयुक्त बयान भारत की कूटनीतिक हार है. और पाकिस्तान अपनी इस जीत को हर मंच पर बतायेगा.

चलिये देखते है आगे क्या होता है.

One response to “मुशर्रफ मनमोहन मैच”

  1. cozaar and impotence

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