मदनू…..एक खूबसूरत गीत

कभी कभी कुछ गीत दिल को छू जाते है, ऐसा ही एक फिल्मी गीत है, आने वाली फिल्म लम्हा से। इस गीत के बोल इतने अच्छे है कि बार बार सुनने को जी करता है। इसे गाया भी उतनी खूबसूरती से गया है। इस गीत को गाया है चिन्मय और क्षितिज ने और संगीतबद्द किया है मिथुन ने। क्षितिज की आवाज मे एक कशिश है, इस गीत मे सुर भी अच्छे लगे है। मुझे कभी कभी क्षितिज और मिथुन की आवाज एक सी लगती है। क्या कहाँ, मिथुन को नही जानते? मिथुन एक बहुत ही होनहार संगीत निर्देशक है, पिछले कुछ गीतों (मौला मेरे मौला (अनवर), बीते लम्हे (The Train) मे उसने ये साबित भी कर दिखाया है। हालांकि अभी वो इतनी लाइमलाइट मे नही आया है। उम्मीद है लम्हा के गीत उसको पर्याप्त मशहूरी दिलाएंगे। आप भी इस गीत को सुनिए, मेरी तरह याद कीजिए अपने किसी बिछड़े साथी को और मजा लीजिए इस खूबसूरत गीत का।



है दिल को तेरी आरजू, पर मै तुझे ना पा सकूं
है दिल को तेरी जुस्तज़ू, पर मै तुझे ना पा सकूं

मै हूँ शब तू सुबह, दोनो जुड़ के जुदा
मै हूँ लब तू दुआ, दोनो जुड़ के जुदा
मदनू, माशकू, दिलबरु…मदनू रे

है दिल को तेरी आरजू, पर मै तुझे ना पा सकूं
है दिल को तेरी जुस्तज़ू, पर मै तुझे ना पा सकूं

मै हूँ शब तू सुबह, दोनो जुड़ के जुदा
मै हूँ लब तू दुआ, दोनो जुड़ के जुदा
मदनू, माशकू, दिलबरु…मदनू रे

कई ख्वाब दिल तुझको लेकर सजाए
पर खौफ़ ये भी कंही पर सताए
गर ये भी टूटे तो फिर होगा क्या रे
मुझे रास आती है खुशियाँ कहाँ रे
क्यूं दिल को दुखाना बेवजह…..मदनू रे
क्यूं दिल को दुखाना बेवजह……
फिर आँसू बहाना, इक दफ़ा
फिर आँसू बहाना, इक दफ़ा…..

मै हूँ शब तू सुबह, दोनो जुड़ के जुदा
मै हूँ लब तू दुआ, दोनो जुड़ के जुदा
मदनू, माशकू, दिलबरु…मदनू रे

तू ही तो हर पल बंधा है
लम्हों की इन जंजीरो में
तू ही तो हर दम रहा है
ख्वाबों की हर ताबीरों में
तू ही तो हर दिन दिखा है
धुंधली या उजली तस्वीरों मे.

तेरी ही तो है खुशबू मुझमे मे हाँ, मदनू रे
तेरी ही तो हो खुशबू मुझमे मे हाँ
अब तू ही तो हर सू हर जगह
अब तू ही तो हर सू हर जगह

(कश्मीरी में)
बेह चु शब चे सुबह, मीलथ दसवयई जुदा
बेह चु लब चे दुआ, मीलथ दसवयई जुदा
मदनू, माशकू, दिलबरु…मदनू रे

हाँ तेरा साया तो मै हूँ, पर संग तेरे ना रह सकूं
हाँ इस सफ़र मे तो मै हूँ,पर संग तेरे ना रुक सकूं

मै हूँ शब तू सुबह, दोनो जुड़ के जुदा
मै हूँ लब तू दुआ, दोनो जुड़ के जुदा
मदनू, माशकू, दिलबरु…मदनू रे

माहिया वे….माहिया वे….
माहिया वे….माहिया वे….


फिल्म : लम्हा (2010)
संगीत निर्देशक : मिथुन
गायक : चिन्मय और क्षितिज
गीतकार : सईद क़ादरी

इस गीत का एक और संस्करण ’साजना’ भी है, जिसमे क्षितिज की जगह मीका सिंह की आवाज है। विश्वास नही होता, मीका ने इसे इतनी खूबसूरती से गाया है। मीका अब एक परिपक्व गायक के रुप मे उभरे है। यदि मौका लगे तो उसको भी जरुर सुनिएगा।

4 responses to “मदनू…..एक खूबसूरत गीत”

  1. Rashmi Swaroop Avatar

    🙂
    Sachmuch behad khoobsoorat geet hai ye… Roz sunti hoon ise..!

  2. Rashmi Swaroop Avatar

    iske sangeetkaaro aur correct lyrics ki jaankaari dene ke liye dhanyawaad..

  3. jitu Avatar

    @Rashmi Swaroop
    Thanks Rashmi.

    I am quite impressed with your profile(at your blog). You are indeed a source of inspiration for others.
    Thanks for visiting MeraPanna, Keep visiting my blog.

  4. संजय बेंगाणी Avatar

    सुना हुआ सा लग रहा है. शायद एफएम पर बजता है..

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