बहुत दिनो बाद…

आज बहुत दिनो बाद कुछ लिखने के लिए समय निकल सका है,(आप लोग भी जुगाडी लिंक देख देखकर थक गए होंगे।) दरअसल मै कुछ अपने कामों (वो संजय बैंगाने वाले काम मे नही) मतलब कुछ व्यक्तिगत कार्यों मे व्यस्त था।इधर श्रीमती जी बहुत नाराज चल रही है कि सारा टाइम कम्प्यूटर मे गिटर पिटर करते रहते हो, घर बाहर के काम काज मे हाथ नही बँटाते(ये अब हिन्दी चिट्ठाकारों की सामूहिक समस्या है, कुछ दिन पहले बे-दिल फुरसतिया भी यही समस्या का रोना रो रहे थे), अब का बताएं आफ़िस वाले भी ढेर सारा काम हमारे ऊपर उड़ेल दिए है, ऊपर से नारद व परिचर्चा की जिम्मेदारी। आफ़िस की जिम्मेदारी से मूँह मोड़ेंगे तो खाएंगे क्या? यहाँ गुरद्वारे मे लंगर भी नही होता।तब फिर ब्लॉग और घर के लिये समय कैसे निकाला जाए।श्रीमती जी का गुस्सा यहीं नही थमा, वो अपने मिर्जा साहब को पूरी व्यथा कथा सुना दी, मसाला मारकर।नतीजा?नतीजा ये हुआ कि मिर्जा के दो दो घन्टे के गाली गलौच युक्त टेलीफोनिक भाषण(प्वाइन्ट नोट किया जाए कि कुवैत मे लोकल काल फ्री है) झेलने पड़े, जिसमे मिर्जा सिर्फ़ एक ही चीज समझाना चाहते थे, कि घर को भी थोड़ा समय दो, थोड़े दिन ब्लॉग को तलाक दो (पता नही मिर्जा दो मिनट की बात को दो घन्टे मे कैसे समेटना चाह रहे थे)।अपने मिर्जा का लैक्चर यहाँ छाप नही सकते नही तो परिचर्चा पर चर्चा छिड़ जाएगी, कि दूसरो को नसीहत, बन्दा खुद फ़जीहत।खैर मिर्जा को तो हम झेल लेंगे, आइये बात करते है ब्लॉग की।

मै अपने ब्लॉग पर एक साप्ताहिक स्तम्भ “जुगाड़ी लिंक” चलाता हूँ, इस तरह के लिंक ढूंढने के लिये इन्टरनैट सर्फ़िंग करनी पड़ती है और सर्फ़िंग के लिये समय चाहिए होता है।नही भाई, मजबूरी नही बता रहा हूँ, लेकिन मै चाहता हूँ इस स्तम्भ को सामूहिक प्रयास का रूप दिया जाए। इसके लिये मै इसके आटोमेशन पर टैस्टिंग कर रहा था, जो सफ़ल रही। अब मै चाहता हूँ कि स्वयंसेवक आगे आएं। आपको ज्यादा कुछ नही करना है, बस सर्फ़िंग करते समय आपको जो लिंक पसन्द आएं, उसे बस बुकमार्क करना है (Delicous का एक प्लग इन आता है वो आप फायरफ़ाक्स पर इन्स्टाल कर लो), बस जो लिंक आपको पसन्द आए, उसे आप उस लिंक के हवाले करते रहो, साथ मे थोड़ा सा विवरण(हिन्दी में) लिख दोगे तो सोने पर सुहागा,नही तो बन्दा है ही। यदि आप लोगों मे से कुछ लोग आगे आते है तो मै इसे मेरा पन्ना से हटाकर एक नये ब्लॉग पर स्थानान्तरित कर दूंगा, जिससे मेरा पन्ना की निरन्तरता पर असर ना पड़े। तो कौन कौन आगे आ रहा है।कोई क्वालिफ़िकेशन नही है, कोई तकनीकी जानकारी की जरुरत नही है। बस क्लिक करना आना चाहिए, वो आप सभी को आता ही है।

इधर आसपास काफ़ी कुछ घटित हो चुका है।मिर्जा साहब ने आजकल के विषयों पर टीका टिप्पणी भी की है, वो अगली पोस्ट मे लिख रहा हूँ।तब तक पढते रहिए मेरा पन्ना।

9 responses to “बहुत दिनो बाद…”

  1. SHUAIB Avatar

    भैया जी, ठीक है कोशिश करता हूं किल्क करने की। और अब तो सम्मर शुरू होचुका है, दफ्तर के बाद बाकी सारा टाईम घर पर ही तो बिताना है आप को 😉

  2. sanjay | joglikhi Avatar

    अपने भी एक-आद क्लिक मार ही देंगे. डोंटवरी. वैसे भी अपने खास चिट्ठे पर अभी खास विषय की भुमिका ही बंध रही हैं, आपकी वयस्तता तो तब देखी जायेगी जब खास टिप्स भी आनी शुरू होगी 😉

  3. अनूप शुक्ला Avatar
    अनूप शुक्ला

    हम कह ही चुके हैं दफ्तर में काम शुरू कर दो । व्यस्तता कम हो हो जायेगी घर में भी आराम रहेगा।

  4. अतुल Avatar
    अतुल

    लिंक विंक का हमें नही पता, पर मिर्जा पुराण , मोहल्ला पुराण, वर्मा की बातें , पप्पू के किस्से सुनाने वाले जीतू भाई फिर से अपने फार्म में लौटे यही हमारी कामना है। हमें वही सब पढ़ना अच्छा लगता है और हमारी ईमानदार राय भी यही है कि इन्ही किस्सों ने आपको बतौर लेखक पहचान दी है।

  5. e-shadow Avatar

    जीतू जी, आपकी मजबूरियॉ सबकी हैं। फिर भी आपके प्रयासों का कोई सानी नही।

  6. समीर लाल Avatar

    जरुर कोशिश करेंगे कि कुछ काम आ सकें.

  7. Tarun Avatar

    आजकल तो अपने ब्‍लोग पर क्‍लिक करने का समय नही मिल रहा, जब मिलेगा तो एक आध क्‍लिक करने की जहमत हम भी उठा के देखेंगे लेकिन व्‍यवसता के इस दौर में गारंटी की इच्‍छा ना करें। 😉

  8. नीरज दीवान Avatar
    नीरज दीवान

    ये क्या बात हुई.. अभी भी व्यथाकथा सुना गए. अब तो मैं वापस आ गया हूं. मुझे तो चारा चाहिए ना.. यहां-वहां ढूंढता फिरता रहा लेकिन आप हैं कि खुरचन की माफ़िक जुगाड़ू लिंक मेरी प्लेट में डालते रहे.. लिखो भाई.. और हां परिचर्चा से दूर ना रहें नारद मुनि

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