अब ये हमारा वक्त खराब कहो या फिर किस्मत। कल हमने फिल्म “कैश” देखी। हजूर देखी क्या झेली। फिल्म का ना तो ओर है और ना छोर। कलाकार भी सब ऐवें टाइप ही है। स्टोरी लाइन तो कुछ थी ही, स्क्रीन प्ले भी इतना ढीला है कि क्या कहें। डायरेक्टर भी स्टोरी बताते बताते बीच बीच मे सो जाता है, जब जागता है तो पिछ्ले सीन से कन्ट्यूनिटी ही नही बैठती। लोग गाड़ी मे एक देश मे बैठते है, अलग ब्रान्ड की गाड़ी मे बैठते है, अगले सीने मे गाड़ी तो गाड़ी, देश तक बदल जाता है। सचमुच साइन्स ने बहुत तरक्की की है।
पता नही कैसे कैसे लोग आ गए है फिल्मी दुनिया मे, एक फिल्म अच्छी बनाते है अगले मे पूरा पूरा कूड़ा परोस देते है।अब आप पूछेंगे कि कहानी है क्या? भैया मत ही पूछो तो ठीक, किसी के घावों को नही कुरेदते। अगर किसी से दुश्मनी है, या बीबीजी की झाड़ से आप दुखी हो गए तो उनको जाकर ये फिल्म दिखाए आओ। आपका बदला पूरा हो जाएगा। आप तो वैसे भी पापकार्न और कोल्डड्रिंक की लाइन मे लगकर अपना टाइम पास कर लोगे, लेकिन बीबीजी पैसे की बरबादी के बाबत अपनी सीट से नही उठेंगी। है ना मजेदार आइडिया। तो भैया इस फिल्म का रिव्यू यही पर खत्म, हम ना झेल सके पूरी फिल्म, आप देखना तो अपना रिव्यू छाप देना।
आइटम | वैल्यू |
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फिल्म का नाम | कैश (कुछ और भी होता तो चलता) |
फिल्म मे देखने लायक | साउथ अफ्रीका की लोकेशन्स और फोटोग्राफी |
निर्देशक | अनुभव सिन्हा |
कलाकार | ढेर सारे….कोई भी काम का नही |
संगीत निर्देशक | विशाल शेखर |
आधिकारिक वैबसाइट | ये रही ट्रेलर अच्छा है |
मेरी राय | भूल कर भी मत देखना/td> |
और समीक्षाएं | इधर और यहाँ भी देख लो |
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