नेता वही सही जो पलटी खाने मे उस्ताद हो, बोलो और मुकर जाओ,बोलने मे क्या जाता है.अब शरद पवार को ही ले, अभी दो दिन पहले NDTV को दिये अपने इन्टरव्यू मे साफ साफ बोले कि अगर सोनिया गांधी प्रधानमन्त्री बनती तो वे मन्त्रिमंडल मे नही रहते. कल फिर पलटी खा गये ,बोले सोनिया गांधी के प्रधानमन्त्री बनने मे राकापा को कोई आपत्ति नही थी, सोनिया चुनी हुई नेता है… फिर लगे सोनिया का गुणगान करने. वही त्याग की प्रतिमूर्ति वगैरहा वगैरहा…. वैसे तो यह सब सुन सुन कर तो कान पक गये है.
शरद पवार का यह पलटना कोई नया नही है, कांग्रेस से उनके रिश्ते कभी खट्टे और कभी मीठे रहे है. क्या पता कल फिर पलट जाये.पुराने जमाने मे नेता जो बोलते थे, और जब अगले दिन अखबार छापते थे, तो नेता के लिये पलटी मारना आसान होता था कह देते थे कि खबर मनगढंत है, कोई सबूत तो होता नही था.लेकिन आजकल के आधुनिक युग मे नेता का इन्टरव्यू बाकायदा रिकार्ड होता है और टी.वी. पर दिखाया जाता है, तो बेचारो के पास खबर को गलत कहने का कोई आधार भी नही रहता. बेचारे नेताजी.
लेकिन शरद पवार वैसे राजनेता नही जो बयानबाजी मे गलती कर जाये, वो यकीनन कोई नया खेल, खेल रहे है, अब ये क्या खेल है, यह तो वक्त ही बतायेगा.
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