दोस्त बन बन के मिले मुझको मिटानेवाले
मैं ने देखे हैं कई रंग बलनेवाले
तुमने चुप रहकर सितम और भी ढाया मुझ पर
तुमसे अच्छे हैं मेरे हाल पे हंसनेवाले
मैं तो इख़लाक़ के हाथों ही बिका करता हूं
और होंगे तेरे बाज़ार में बिकनेवाले
आख़री दौर पे सलाम-ए-दिल-ए-मुज़्तर ले लो
फिर ना लौटेंगे शब-ए-हिज्र पे रोनेवाले
सईद राही
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