कहते है दुनिया गोल है, अरे कहते क्या है हमने तो दुनिया देखी भी है और झेली भी है।सब गोल मोल है।अब आप सोचेंगे कि इस बन्दे को खांमखा मे यहाँ पर भूगोल का पाठ पढाने की आवश्यकता क्या आन पड़ी, जब भूगोल पढना था, तब तो सुक्खी के साथ क्लास गोल करके गिल्ली डन्डा खेलते थे, आज चले है दुनिया गोल है समझने। अरे भाई! आप समझे नही। हम लोगो की आदतों के बारे मे बात कर रहे है।
मनोरंजन को ही ले लीजिए..सबसे पहले हमारे पुश्तैनी मकान मे, इकलौता लाडला रेडियो हुआ करता था जो बकौल मरहूम चाचाजी, मौहल्ले की नाक था।,उसकी भी अलग कहानी है।फिर जमाना ट्रान्जिस्टर पर आकर ठहर सा गया। विविध भारती तो जैसे वरदान की तरह था।सुबह संगीत सरिता से सफ़र शुरु होकर रंगावली, भूले बिसरे गीत, अनुरोध होते हुए, दोपहर मे गीत संगीत और शाम को कर्नाटक संगीत सभा पर जाकर खत्म होता था। जब विविध भारती वाले हाथ जोड़कर बोलते थे, भईए जाने दे! तब जाकर ट्रान्जिस्टर बन्द होता था।फिर बिनाका गीतमाला और अमीन सायानी को कौन भूल सका है भला? इसके बाद दूरदर्शन का समय आया, श्वेत श्याम टीवी के साथ। यहाँ भी वही सब शुरु, दूरदर्शन की थीम बाद मे शुरु होती थी, हम टीवी पहले चालू कर लेते थे और बन्द तभी करते थे, जब रात्रि विचार बिन्दु आता था।अब चाहे कामगार सभा चल रही हो या चौपाल, टीवी चालू ही रहता था। फिर एशियाड के साथ रंगीन टीवी बाजार मे उतरे, फिर वीडियो, सैटेलाइट टीवी, वीसीडी, डीवीडी वगैरहा वगैरहा।सैटेलाइट टीवी ने तो लोगो की दुनिया ही बदल दी है।लेकिन क्या यहाँ अंत है? नही जनाब…आगे पढिए।
लेकिन फिर लोगो का टेस्ट बदलने लगा है, अब फिर लोग सैटेलाइट टीवी के सास बहू सीरियल और न्यूज चैनलों की पकाऊ खबरों से ऊब चुके है और जमाना एफ़ एम चैनल की तरफ़ मुड़ गया। अब इन्डिया मे रहे तो एफ़ एम चैनल सुने ना। वहाँ भी विज्ञापनों का जाल फैला रहता है, ये खरीदो, वो खरीदो, ये क्रीम, वो टूथपेस्ट वगैरह वगैरहा।फिर रेडियो जॉकी की बकबक, गाना दो मिनट का, बकबक ३ मिनट की।अमां हमारे जमाने मे भी विविध भारती के प्रस्तुतकर्ता हुआ करते थे, मीठी आवाज वाले, बेचारे फरमाइशकर्ताओ के नाम बोलते बोलते थक जाते थे(झुमरीतलैया वालें भी पोस्टकार्ड पर पोस्टकार्ड भेजकर दनादन फरमाइशें जो भेजे रहते थे)। लेकिन मजाल है कि कुछ भी बकबक करें। लेकिन आजकल रेडियो जॉकी ने तो नाक मे दम कर रखा है। कहते है आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है । तो जनाब इन रेडियो जॉकी को पटखनी देने के लिए आ गया सैटेलाइट रेडियो। अभी इसमे सिर्फ़ एक ही खिलाड़ी है मैदान में वो है वर्ल्डस्पेस रेडियो ।
लगभग दो साल पहले जब वर्ल्डस्पेस ने अपना सैटेलाइट लांच किया था तो मुझे लगा था कि प्रोजेक्ट सफ़ल नही होगा।जल्द ही ये लोग दुकान समेटेंगे। लेकिन जनाब समेटेंगे कहाँ इन्होने तो अफ़्रीका के बाद भारत मे भी दुकान खोल ली।अब यूरोप और अमरीका मे भी सेवाए चालू कर दिए है।अमरीका मे ये XM Radio के साथ डटे हुए है।अब हमारा क्या है ना टीवी पर चैनल बदलते बदलते ऊब गए थे, आँखे भी थक गयी थी, और म्युजिक सीडी और कैसेट सम्भालते सम्भालते झल्ला गए थे। वैसे भी अगर आपको पता है कि सीडी मे अगला गाना कौन सा आने वाला है तो आधा मजा तो वैसे ही खत्म हो जाता है। इसलिए हमने भी वर्ल्डस्पेस की शरण मे जाना उचित समझा।
वर्ल्डस्पेस एक सैटेलाइट रेडियो सेवा है जिसमे २४ घन्टे, लगभग ४० चैनल आते है, जिनमे कुछ हिन्दी मे है, कुछ क्षेत्रीय भाषाओं मे है, बाकी अंग्रेजी मे है। खास बात ये है कि इसमे एक भी विज्ञापन नही आता।लेकिन आपको इसकी सेवा लेने के लिए एक रिसीवर खरीदना होता है (जो ये लोग देते है) और वार्षिक सदस्यता शुल्क (सब्स्क्रिप्शन) देना होता है।अभी इनके सब्सक्रिप्शन मे एकरुपता नही है, दुबई वाले शोएब को, दिल्ली वाले अमित से ज्यादा पैसे देने पड़ते है।दिल्ली वालो कों Rs 1800/- सालाना देना होगा, उधर दुसरी तरफ़ पहले से ही दु:खी दुबईवासी शोएब 257 दिरहाम यानि लगभग Rs. 3200/- सालाना अपने पल्ले से खर्च करने पड़ेंगे।रिसीवर खरीदने का खर्चा अलग से। लेकिन फिर भी पैसा वसूल हो जाता है।
खैर…आइए अब बात करते है चैनलों की।भाई, सबसे पहले तो बात करते है क्वालिटी, जनाब एकदम सीडी क्वालिटी, क्रिशटल क्लियर आवाज है। सामग्री (कन्टेन्ट) भी काफी अच्छा है। कुल मिलाकर ४० चैनल आते है मै तो अपने लिमिटेड चैनल सुनता हूँ:
झंकार : इसमे 1990 के बाद से लेकर लेटेस्ट फिल्मी गाने सुनाए जाते है।
फरिशता : इसमे हमारे जमाने के गाने बजते है।
गन्धर्व : इसमे हिन्दी शास्त्रीय संगीत बजता है।
तुनक(पंजाबी) : जिन साहबान को पंजाबी गानों का शौंक हो वो इस चैनल द्वारा चौबीस घन्टे पंजाबी गीत संगीत सुन सकते है। मुझे इसमे पाकिस्तानी गायकों द्वारा गाए गीत बहुत पसन्द आते है।
बीबीसी साउथ एशिया : जी हाँ बीबीसी के सभी चैनल हिन्दी,उर्दू,बंगाली सारे उपलब्ध है। हम तो समाचारों के लिए टीवी खोलना ही बन्द कर दिए है।
एनडीटीवी : हिन्दी और अंग्रेजी के दोनो चैनल यहाँ उपलब्ध है।
आर्ट आफ लिविंग : इसमे आर्ट आफ लिविंग वाले अपना प्रवचन और भजन कीर्तन करते है।काफ़ी ज्ञानपूर्ण चैनल है।
सांई ग्लोबल सर्विस : इसमे सत्य सांई बाबा वाले अपना भजन कीर्तन करते है|
मोक्ष् : इसमे भी प्रवचन,योगा,भजन,कीर्तन होता है लेकिन अंग्रेजी मे।आजकल इसमे टाइम ज्यादा निकल रहा है हमारा।
इसके अतिरिक्त बंगाली, तमिल, कन्नड़,मलयाली और तेलगू चैनल भी है। अग्रेजी के भी काफी अच्छे चैनल है। उनको अभी सुन रहे है, समझ मे आने पर प्रतिक्रिया भी लिख देंगे।कुल मिलाकर वर्ल्डस्पेस का सब्स्क्रिप्शन घाटे का सौदा नही है। विशेष रुप से उनके लिए जो सैटेलाइट टीवी से बुरी तरह से ऊब चुके हो। कुछ चैनल अभी भी नही है जैसे गज़लों के लिए अलग चैनल,लाइफ़स्टाइल, बच्चों के लिए और हिन्दी पॉप म्यूजिक के लिए अलग से चैनलो ना होना खलता है। खैर हमने उनको लिख दिया है देखें कब तक मुराद पूरी होती है। साथ ही कार के लिए एन्टीना अभी विकसित नही कर पाए है ये लोग। तो भैया अब हम तो चले वर्ल्डस्पेस सुनने, नमस्कार।
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