दावतनामा

सुबह सुबह अभी आँख भी नही खुली थी कि फोन घनघना उठा, मेरा मानना है कि यदि फोन सुबह सुबह, नित्य क्रिया से पहले आया हो तो हमेशा फालतू होता है और यह मेरे नित्य कर्मो को बाधित करने का षड़यन्त्र होता है, अक्सर इसमे विदेशी हाथ होता है.जब भी सुबह सुबह फोन आता है, मेरे को कोंसिपेशन की प्रोब्लम हो जाती है, फिर सारा दिन कैसा निकलता है, यह सिर्फ मै ही जानता हूँ.फिर भी जनाब फोन रखने का खामियाजा तो भुगतना ही पड़ता है, दूसरी तरफ से किसी अरबी महिला का फोन था, जो अपने बेटे के स्कूल मिला रही थी ‌और उसने बिना नम्बर कन्फर्म किये मेरे से पूछा बस कितने बजे आयेगी,दिमाग तो वैसे ही टन्नाया हुआ था सो मै भी चिकाई के मूड आ गया…, मै बोला अभी बस वाला सोकर नही उठा है, सो बस लेट हो जायेगी.महिला का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया, वो गुस्से मे भन्नाती हुई,लेट होने को लेकर लटक गयी लगी, और झाड़ने लगी भाषण वो भी अरबी मे, नयी नयी तरह की अरबी गालिया सुनाने लगी………..सुबह सुबह का समय उस पर अरबी मे भाषण, मेरे से नही झिला मै बोला बस नही आयेगी, बोलो क्या उखाड़ लोगी….. महिला से बर्दाश्त नही हुआ उसने अपने पति को हड़काते हुए फोन टिका दिया.. पति ने पहले अपने रिश्तेदारो की पहुँच का हवाला दिया,फिर थोड़ी हाई क्लास परिष्कृत गालिया निकाली, जो महिला देना भूल गयी थी… फिर मेरा नाम पता पूछा, तब मैने उल्टा सवाल किया, तुमने फोन कहाँ मिलाया है?… उसने स्कूल का नाम बताया, तो मै बोला, कि अपनी पत्नी को बोलो पहले नम्बर कन्फर्म कर लिया करे फिर हड़काया करे. फोन अभी होल्ड पर ही था दोनो मिंया बीबी झगड़ने लगे.. सारे गिले शिकवे मेरे सामने निकालने लगे…. मामला एक दूसरे के बाप तक पहुँच चुका था…..मै बोला मेरे बाप मेरे को तो छोड़ दो… आखिरकार तकरार के बाद उसकी पत्नी लाइन पर आयी और माफी मांगी.मैने फोन रखा…. तब तक मेरा प्रेशर खत्म हो चुका था.. समय भी काफी खराब हो चुका था…. सो मैने सीधे बाथरूम का रूख किया और नहाने के बाद ही बाहर निकला.

कपड़े पहनते हुए फिर फोन आ गया, मैने फोन उठाते ही बोला, बस आज लेट आयेगी, दूसरी तरफ छुट्टन मिंया थे, मेरी आवाज पहचानते थे.. पूछा “बस को मारो गोली………कार कब बेची? और बस कब खरीदी? ऐसे बुरे दिन आ गये है क्या, ड्राइवरी करनी पड़ रही है?” मै चौंका, मुझे गलती का एहसास हुआ, उनको अपने पिछले फोन वाले वाक्ये के बारे मे बताया.. छुट्टन मिंया बोले, “आज शाम को क्या कर रहे है?” मै बोला बस थोड़ा मार्केट जाना था, कुछ काम था, बोले कल चले जाना,आज बड़े भाई का जन्मदिन है, इसलिये स्पेशल खाना बनाया है, सो दावतनामा कबूल कर शाम को घर पर पधारो….फैमिली सहित.. , मै चौंका ये बड़ा भाई कहाँ से पैदा हो गया, मैने दावतनामे पर स्वीकृति देते हुए पूछा बड़ा भाई कौन सा है?.. जहाँ तक मेरी जानकारी थी छुट्टन मियाँ अपने घर मे सबसे बड़े थे…बाकी की बची खुची फैमिली भी बांग्लादेश मे थी… कोई आसपास का कुवैत मे नही था…….. फिर भी सीरियल देख देख कर आजकल पता नही चलता, कि कभी भी,कोई भी कंही से पैदा हो जाता है,बड़ा भाई तो छोटी बात है, नये नये बाप तक पैदा हो जाते है…. सो मैने बड़े भाई के बारे मे जानकारी चाही, छुट्टन मिंया बोले अरे यार , अपने बड़े भाई मतलब, अमिताभ बच्चनजी…. आज उनका जन्मदिन है,अब मेरा माथा ठनका……… अब हाँ तो मै बोल ही चुका था… अब ना कर नही सकता था… छुट्टन मिंया के यहाँ किसी सिनेमा कलाकार का जन्मदिन का मतलब था कि पहले तो उसकी एक दो फिल्मे झेलो, जो छुट्टन मिंया की पसन्द की हों…….फिर छुट्टन मिंया की रनिंग कमेन्ट्री उस फिल्म के बारे मे और विशेषकर उस कलाकार के बारे मे… अमिताभ का जन्मदिन तो ठीक है, मगर पिछली बार मै छुट्टन मिंया के यहाँ,मिथुन चक्रवर्ती के जन्मदिन पार्टी मे फंस चुका था….. कई दिन तक तो मिथुन दा आंखो के सामने से नही उतरे…… तब से आलम ये है कि मिथुन जब भी किसी चैनल पर दिखाई देता है मै टीवी बन्द कर देता हूँ या चैनल बदल देता हूँ.

मैने पत्नी से पूछा तो उसने साफ इन्कार कर दिया…बोली तुम्हारी फिल्मी पार्टी तुम्हे मुबारक, मै अपने सीरियल मे खुश हूँ, वैसे भी आज तुलसी की बहू को बच्चा होने वाला है, और उधर देश मे निकला होगा चाँद की कहानी भी भटक गयी है,उसे समझना है इसलिये मै कही नही जाऊंगी….. लेकिन मामला छुट्टन मिंया के लजीज जायकेदार खाने की दावत का था तो मिसेज ने टिफिन पकड़ा दिया बोली खाना पैक करवा कर ले आना मै छुट्टन से बात कर लूंगी….. अब जनाब एक तरफ छुट्टन मिंया और उनके चाहने वाले(कौन?, अरे वही नामुराद मुफ्तखोर वीडियोवाले, फ्री का खाना कौन छोड़ता है) और दूसरी तरफ मै अकेला….. मिर्जा इस मामले मे कुछ भी नही बोलते, बस दर्शक की तरह से बैठे रहते है..वैसे भी बोल कर क्या उखाड़ लेंगे….परमीशन हो हाइकमान देती है…….. मेरा दिल तो अभी से धकधक करने लगा था. जैसे तैसे मैने दिल को समझाया और आफिस जाने के लिये तैयार होने लगा… ………………….मन ही मन सोच रहा था, कौन सा बहाना बनाया जाय…..इसी उधेड़बुन मे, घर से आफिस के लिये निकल पड़ा.

शाम की दासतां अगली पोस्ट मे…………………

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