भारत मे जनसंख्या बढ रही है, कोई अनोखी बात नही है.हर १० वर्षौ मे जनगणना होती है, अखबार इस बारे मे लिखते है, सरकार दावा करती है कि उसके कार्यकाल मे जनसंख्या नही बड़ी, बुद्दिजीवी लोग चर्चा करते है, सेमिनार करते है, टेलिवजन वाले सबको बुला बुला कर लड़वाते है, लोगो को SMS करने को बोलते है, विरोधी पानी पी पी कर सरकार को कोसते है, सरकार नयी नयी घोषणाये करती है और आशा करती है कि बिना कुछ किये जनसंख्या नियंत्रण मे आ जायेगी. बड़े शर्म की बात है कि कोई भी राजनीतिक दल मूल समस्या के प्रति गम्भीर नही है, सबको अपने अपने वोट बैंक की चिन्ता है.
मेरे पास कुछ सुझाव है, मेरे को पता है ये सुझाव सरकार नही मानेगी, इसलिये Blog पर लिख रहा हूँ.
नेता समाज और जनता का प्रतिनिधित्व करते है. अतः जनसंख्या का समाधान उनसे ही शुरू होना चाहिये. अगर किसी MLA/MP के 2 से ज्यादा बच्चे है, तो उनको चुनाव नही लड़ना चाहिये, (जो घर का नही सोच सका,वो देश का क्या सोचेगा?)
अगर MLA/MP बन गये है तो या मन्त्री नही बनने चाहिये अन्यथा या तो पद छोड़े अथवा पद से मिलने वाला वेतन और सुविधाये.
एक बच्चे वाली महिलाऔ के लिये विशेष योजना और नकद पारितोषक का प्रबन्ध होना चाहिये. सामान्य जन सुविधाऔ मे आरछ्ण भी दिया जा सकता है.
समाज के पिछड़े वर्गो मे बड़ती जनसंख्या के प्रति जागरूकता लानी चाहिये. सिनेमा और टी.वी. इसके लिये अच्छा माध्यम हो सकते है.
ज्यादा बच्चे वालो पर कोई अप्रत्यछ करॆ अथवा दन्ड लगाया जा सकता है
जनसंख्या का समाधान तब तक नही हो सकता, जब तक हम अपनी जिम्मेदारी नही समझेंगे.अभी भी समय है, हम चेते, अन्यथा आने वाली पीढी हमे कभी माफ नही करेगी.
इस बारे मे आपकी क्या राय है?
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