कोई ये कैसे बताए

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कोई ये कैसे बताए कि वो तन्हा क्यों है
वो जो अपना था वोही और किसी का क्यों है
यही दुनिया है तो फिर ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता है तो आख़िर यही होता क्यों है

एक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो पकड़ले दामन
उसके सीने में समा जाए हमारी धड़कन
इतनी क़ुर्बत है तो फिर फ़ासला क्यों है
[qurabat = nearness]

दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं अब तक कोई
एक लुटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई
आस जो टूट गई फिर से बंधाता क्यों है

तुम मसर्रत का कहो या इसे गम़ का रिश्ता
कहते है प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता
है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है
कैफी आजमी साहब

6 responses to “कोई ये कैसे बताए”

  1. महावीर शर्मा Avatar

    कैफी आज़मी साहब की ये ग़ज़ल पढ़ने में मज़ा आगया। मुझे भी उर्दू और हिन्दी में लिखने
    का शौक़ है। मुलाहिज़ा फ़रमाईयेगाः

    “ज़िन्दगी के वो लम्हे !”
    चशम हैं पुरनम , मैं शबे गम गुज़ारता हूं
    जज़्बात के तूफ़ान में तुझ को पुकारता हूं ।

    पूंछो न अश्क मेरे , आतिशी दरिया है ये
    सिला निगाहे कहर का तेरी मिला है ये

    ज़ख्मे दिल शगुफ़्ता बार बार उभारता हूं ।

    जिन्दगी के वो लम्हे यादों से निखरे हुए
    ले रहा था हाथ में कि ज़ुल्फ़ वो बिखरे हुए

    गेसू न तेरे , ज़िन्दगी अपनी संवारता हूं ।

    अब तो उन से कोई उम्मीदे वफ़ा नहीं है
    दिल को ज़ख्म देना , ये इन्तहा नहीं है

    उम्मीदवार बन तुझे फिर भी पुकारता हूं ।

    बर्क़ अब तक़लीफ़ न दूंगा तुझे कभी
    क़ब्र में बना लिया है आशियां अभी

    लिपटा हुआ मैं कफ़न में यादें संवारता हूं ।

    आ न जाये नींद यूं आगोशे तुर्बत में मुझे
    चाहता हूं देखना हमराहे रक़ीबा तुझे

    फ़रेब थी ये जिन्दगी फ़ना से हारता हूं ।
    महावीर शर्मा

  2. जीतू Avatar

    वाह वाह! मुकर्रर
    महावीर भाई, मजा आ गया.
    अब तो हमे आपका पूरा का पूरा संकलन देखना और पढना ही पड़ेगा.
    महावीर भाई, आप अपना ब्लाग चिट्ठा विश्व मे पंजीकृत करवा दे, ताकि आपको ज्यादा से ज्याद कद्रदान मिल सकें.
    ज्यादा जानकारी के लिये मेरी ये पोस्ट देंखे.
    http://www.jitu.info/merapanna/?p=256

  3. वैभव पाण्डेय Avatar

    बहुत ही मजा आ गया. लगता है कि अब हिन्दी के कलाकार, लेखक और कवियों से मुलाकात का सिलसिला शुरु होने जा रहा है. बहुत अच्छा है, इसी तरह से हम हिन्दी को आगे बढाते रहे!

    जीतु जी ऍक सवाल है : क्या कारण है कि जब मै आपका ब्लोग खोलता हूँ तो मेरा कम्प्युटर बहुत ही सुस्त हो जाता है?

  4. kali Avatar

    bhaiya google ka account banto hamein bhi. Ek tha woh kho diya naya taaza account do taki hum bhi group join kar sakein apni hindi premiyon ka.

  5. जीतू Avatar

    वैभव जी,
    अपनी परेशानी कृप्या करके विस्तार से बताये,
    बेहतर होगा कि आप हमारे चिट्ठाकार ग्रुप “chithakar at googlegroups dot com” मे इमेल करे.जब आप इमेल करे तो निम्नलिखित बाते जरूर बताये.

    1. आपकी परेशानी विस्तार सेः
    2. आपरेटिंग सिस्टमः
    3. इन्टरनेट ब्राउजर का वर्जनः

    मुझे आपके पत्र का इन्तजार रहेगा.

  6. रजनीश मंगला Avatar
    रजनीश मंगला

    ये तो एक अपने आप में masterpiece है। क्या मिलाप है ख़ूबसूरत शायरी, बढ़िया संगीत और मखमली आवाज़ का। कैफी आजमी साहब की इस ग़ज़ल को जगजीत सिंघ ने फ़िल्म अर्थ के लिए गाया था। जीतू साहब मुझे बताएंगे कि मसर्रत का मतलब क्या होता है।
    धन्यवाद

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