अब इसे ही ले, निशा जी ने दिल्ली से कुछ गड़बड़झाला शायरी भेजी है। अब मै अकेले क्यों झेलूँ, आप भी झेलिये:
तुमको देखा तो ये ख्याल आया
पागलों के स्टाक में नया माल आया
अब इसे भी मुलाहिजा फ़रमाइये
इधर खुदा है, उधर खुदा है
जिधर देखो, उधर खुदा है
इधर उधर बस खुदा ही खुदा है
जिधर नही खुदा है….उधर कल खुदेगा
इस जमाने की लैला बोल रही है…
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को….
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को….
कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को….
न्यूकलियर पावर का जमाना है, बम से उड़ा दो साले को….
अपने बिहारी पप्पू भइया भी शायरी करते है, लीजिये झेलिये बिहारी कविता
तोहार चेहरा मोती समान
तोहार चेहरा मोती समान
मोती हमार कुत्ते का नाम
इसे भी देखिये…………
दरख्त के पैमाने पे चिलमन ए हुस्न का फ़ुरकत से शरमाना….
दरख्त के पैमाने पे चिलमन ए हुस्न का फ़ुरकत से शरमाना….
ये लाइन समझ मे आये तो मुझे जरुर बताना!!
तेरे दर पे सनम हजार बार आयेंगे…..
तेरे दर पे सनम हजार बार आयेंगे…..
घन्टी बजायेंगें और भाग जायेंगे!!
जिस वक्त खुदा ने तुम्हे बनाया होगा,
एक सरूर सा उसके दिल पे छाया होगा….
पहले सोचा होगा तुझे जन्नत मे रख लूँ…
फ़िर उसे ज़ू का ख्याल आया होगा!!
मै तुम्हारे लिये सब कुछ करता
मगर मुझे काम था…
मै तुम्हारे लिये डूब कर मरता..
मगर मुझे जुकाम था!!
मेरे मरने के बाद मेरे दोस्तों
यूं आँसू ना बहाना..
अगर मेरी याद आये तो..
सीधे ऊपर चले आना!!
उनकी गली से गुज़रे…अजीब इत्तेफ़ाक था…
उनकी गली से गुज़रे…अजीब इत्तेफ़ाक था…
उन्होने फूल फेंका…गमला भी साथ था!!
तुमको देखा तो एक खयाल आया….
तुमको देखा तो एक खयाल आया….
तुम्हारी सहेली को देखा तो दूसरा खयाल आया!!
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