ये टिप्पणी मैने धुरविरोधी के ब्लॉग पर की थी।
मै यहाँ अपने विचार व्यक्त कर रहा हूँ ना कि याहू की तरफ़ से।
आप चाहे मानो अथवा या ना मानो, ये तो पक्का है कि याहू एक बहुत बड़ा मंच है। दुनिया भर के लोग, शायद आपके ब्लॉग को ना जानते हो लेकिन याहू को जरुर जानते होंगे। यदि उसके किसी पन्ने पर (दिल्ली वाले ही सही) यदि हिन्दी चिट्ठों को जगह मिलती है तो इससे सीधे सीधे हिन्दी चिट्ठाकारों को फायदा पहुँचेगा। याहू वहाँ पर आपके चिट्ठों के लिंक दिखा रहा है, ना कि पूरा पूरी पोस्ट। पाठक वहाँ पर क्लिक करके आपके पास आ रहा है तो आपकी जिम्मेदारी बनती है पाठक को कुछ ऐसा परोसने की, कि वो लगातार आपकी साइट पर आता रहे। अब नफ़ा नुकसान ये आप जोड़ो, मै तो सिर्फ़ इतना कहूंगा जमाने की रफ़्तार से चलना सीखो नही तो वामपंथियों की तरफ़ सिर्फ़ चिल्लाते रह जाओगे।
रही बात चोरी की, तो भई पूरा मसला जाने बिना, किसी पर इल्ज़ाम लगाना ठीक नही। पूरी खबर का पता चलने दो, फिर देखेंगे। चोर चाहे कितना भी बड़ा हो, हमारी नज़र मे वो चोर ही रहेगा।
रही बात याहू विरोध की, तो भैया, विरोध तो सभी का होता है, चाहे बिल्लू हो, गूगल बाबा हो या याहू। शायद विरोध करने वाली अपनी प्रसिद्दि पाने के लिए ऐसा करते है।
बात सच है, हो सकता है किसी को बुरा लगे। लेकिन मै सिर्फ़ इतना ही कहना चाहूंगा, मंच मिला है तो स्वयं को सिद्द करो, ना कि मंच मे ही नुक्स निकालो।
वहाँ पर दो मसले है
१) याहू दिल्ली के पन्ने पर नारद के फीड लगाने का।
२) याहू द्वारा किसी गुजराती ब्लॉग के कथित चोरी का।
आइए पहले मसले पर बात करें,
याहू के पन्ने पर नारद के फीड लगाने के लिए हिन्दी चिट्ठाकारों ने कहा था, ना कि याहू ने खुद ऑफ़र दिया था। याहू पर हिन्दी चिट्ठो का आना एक मील का पत्थर साबित होगा। ये बात आज कल का चिट्ठा शुरु करने वाले नही जान सकते। जाने क्यों लोग हर अच्छी चीज मे भी नुक्स निकालना शुरु कर देते है।
वहाँ पर कोई पराग नाम का बन्दा है, जिसके ब्लॉग का तो कोई पता नही है, शायद धुरविरोधी का ही दूसरा नाम है। ये बन्दा अनाम रहकर, कुछ कह रहा है जरा सुनिए तो
Pahale cafehindi.com ne article dala, writer ka naam, blog page ka link bhee dala to sabne cafehindi.com ko chor kaha, dakoo kaha. Yahoo ne article dala par naam nahi dala. GNU ke hisab se naam dalna bahut jaroori hai. Ab batao Chor daakoo kaun hai. Jinhone pahale maithily ko chor bola, bo ab kyon chup baithe hai. Ghar wale chor aur bahar wale sahookar? – पराग
अब सुनो पराग भाई,
वैसे मै तुम्हारी किसी बात का जवाब देना उचित नही समझता, लेकिन दूसरों के लिए बताना जरुरी समझता हूँ। याहू वाले केस मे हमने याहू को फीड डालने के लिए कहा था। कैफ़े हिन्दी और याहू वाला मसला एकदम अलग अलग है। कैफ़े हिन्दी वाली मैथिली जी ने अपनी बात रखी, वो मसला अब सुलझ चुका है।
सबसे पहली बात, गुजराती ब्लॉग के चोरी के लिए कोई भी ब्लॉगर हमारे पास नही आया था, ना ही गुजराती ब्लॉग वालों ने हिन्दी ब्लॉग वालों को कोई शिकायत की थी। दूसरा हमें गुजराती समझ मे नही आती, कोई भाई पहले पढे और सबसे पहले मूल चिट्ठाकार को बताए। अगर मूल चिट्ठाकार को यदि कोई आपत्ति है तो वह सार्वजनिक रुप से कहे, फिर हमारा प्रतिक्रिया व्यक्त करने का हक बनता है। वो भी तभी, जब मूल चिट्ठाकार हमारे समूह से मदद के लिए कहे। नही तो हम नैट चोरियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए थोड़े ही बैठे है। रोजाना ना जाने कितने अखबारों/ब्लॉग से चोरी होती है, कहाँ कहाँ तक ध्यान रखें और कहाँ कहाँ तक प्रतिक्रिया व्यक्त करते फिरें।
मैने एक और टिप्पणी की है वहाँ पर पराग भाई के लिए:
पराग भाई,
तुम किस गुलशन के हो? जरा बताओ तो,
तुम्हारा ना तो अता है ना पता, इसलिए ब्लॉगरों की बात तुमको समझ मे नही आएगी। पहले ब्लॉग बनाओ, या ब्लॉग का पता दो, फिर डिसकस करो। -जीतू
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