अब जबकि दो दो लोगों ने मुझे अपना शिकार बनाया है, सौभाग्य से उनमे से एक महिला है, तो मेरा ये फर्ज बनता है कि अपना जवाब दूँ। इसके पहले कि आप कुछ गलत सलत समझें मै आपको बता दूँ, कि मै इस अष्टावली खेला की बात कर रहा हूँ। इस खेला मे कोई एक ब्लॉगर किसी एक विषय के बारे मे लिखता है, और फिर किन्ही आठ ब्लॉगरों को पकड़ता है जो उस विषय पर लिखते हैं। फिर ये निरन्तर खेला चलता रहता है, तब तक जब तक पाठक टिप्पणी कर कर के, इस खेला को बन्द करने या सब्जेक्ट बदलने के लिये ना कह दें। वैसे देखा जाय तो ये खेला कुछ कुछ हमारे अनुगूँज की तरह से है, बस फरक सिर्फ़ इतना है कि यहाँ आठ का पहाड़ा चलता है, यानि कि उस विषय पर आठ प्वाइन्ट मे लिखना है और ऊपर से आठ और लोगों को टोपी (शिकार बनाना) पहनानी पड़ती है। तो जनाब इस बार का विषय है आपके अपने (अथवा भावी) जीवनसाथी मे कौन सी आठ खूबियां होनी चाहिये।
अब ये प्रश्न पूछा ही क्यों गया। हमने खोज की तो पाया कि प्रश्न पूछने वाली की तमन्ना कोई मैटरीमोनियल साइट बनाने की है, शायद प्रश्न का आइडिया भी वंही से आया है, या फिर प्रश्न पूछने वाला आठ सम्भावित लोगों से प्रश्न पूछकर अपनी पसन्द का वर/वधु चुन लेगा। लेकिन सवाल ये उठता है कि हम बुड्डे लोगों से ये प्रश्न काहे पूछा गया। मिर्जा ने समझाया, अबे ये तो तुम्हारे एक्सपीरियन्स को शेयर करना चाहता है।या फिर तुम्हारे मन की भड़ास निकलवाना चाहते है,इसलिये तुमसे भी पूछ लिया। अब आपने हमारी दुखती रग छेड़ ही दी है तो झेलो आप भी। तो भाई हमारे जीवनसाथी (यहाँ नोट किया जाय कि हम भावी शब्द का प्रयोग नही कर रहे, आप लोगो की श्रृद्दा हो तो जरुर लगा लीजियेगा) निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है:
- सबसे पहले तो उसे सस्ता,सुन्दर और टिकाऊ होना चाहिये। (ये सुनकर मिर्जा बोला, अबे जीवनसाथी पसन्द कर रहे हो या टीवी सेट, अब मिर्जा को कौन समझाये, टीवी और जीवनसाथी मे ज्यादा फरक नही होता)
- हँसमुख,मिलनसार,समझदार और विचारशील हो। (अब मिर्जा कहते है कि जिसके पास आखिरी के दोनो गुण होंगे तो कोई तुम्हारे पास क्यों कर फटकेगा?, अब मिर्जा को कौन जवाब दे।
- सहनशील होना बहुत जरुरी है (तभी तो हमे और हमारे ब्लॉग को झेल सकेगी, है कि नही)
- सुन्दर,सुशील और संस्कारी हो ( अब शुकुल इन सबके मतलब मत पूछने लग पड़ना, किसी वैबसाइट से मारे थे)
- महत्वाकांक्षी और स्वावलम्बी हो (स्वावलम्बी का मतलब, इससे मत लगाया जाय कि गुरद्वारे से खाना खाकर आये और हमारे लिये लेती हुई आये। मतलब स्वतन्त्रतापूर्वक अपना कार्य कर सके, बाथरुम मे वाइपर लगाने के लिये हमे ना पुकारा जाय)
- टीवी देखने का शौंक ना हो। (नही तो हमारे क्रिकेट मैच और न्यूज चैनलों का तो नम्बर ही नही आ सकेगा) या फिर टीवी देखने मे हमारे और उनके शौंक कामन हों।
- हाइली रोमान्टिक हो, रोमान्स जो उमर के साथ साथ बढता जाय (अब हमसे इस मुद्दे पर एक्सप्लेनेशन की उम्मीद ना रखी जाय)
- और अन्तिम मगर बहुत ही महत्वपूर्ण कि मुझ पर पूर्णरूपेण भरोसा करती हो। आपसी विश्वास ही वैवाहिक जीवन का आधार होता है।
आखिरी मे एक जरुरी सूचना : उपरोक्त सारे गुण हमारी पत्नीश्री मे है, इसलिये हमारे जीवन मे भावी जीवनसाथी की कोई वैकेन्सी नही है।अलबत्ता हमे याद आ रहा है एक ट्रक के पीछे लिखा था जगह मिलने पर पास दिया जायेगा।
अब हमारे शिकार (किसे बनायें? सारे शिकार तो प्रत्यक्षा खा गयी, फिर भी कोशिश करता हूँ)
- अतुल अरोरा ( अब भी अगर तुम ना लिखोगे तो समझ लेना, हम सचमुच मे नाराज हो जायेंगे।)
- शुकुल ( तुमको तो लिखना ही पड़ेगा, कौनो बहाना नही चलेगा)
- देबाशीष दादा (बहुत दिनो से कुछ लिखे नही हो, चलो यंही से शुरु करो)
- आलोक भाई ( हिन्दी ब्लॉगजगत के पितामह।इनके चिट्ठे देखकर आपको लगेगा का इनका आईएसपी, प्रति शब्द होस्टिंग के पैसे लेता है।ये देखने का विषय होगा कि गुरुजी का टेलीग्रामिया लेख कैसा होगा)
- रवि रतलामी जी ( ये रतलाम मे रहने के कारण हमारे बहुत करीबी रिश्तेदार हैं, पूरी कथा यहाँ देखें)
- रमण कौल
- सुनील भाई
- ठलुआ नरेश इन्द्र जी (अब अगर ना लिखोगे तो समझ लेना तुम्हारा आनलाइन आना दूभर कर देंगे)
- शशि भाई ( ये तो बेचारे ना लिखकर परम्परा का निर्वाह कर रहें है,इन्होने इस साल का इन्डीब्लॉगीज पुरस्कार जीता है
- कालीचरण (तुम लेख लिखोगे तो मकान जल्दी मिलेगा, नही तो बारह बजती रहेगी, फिर मत कहना)
- बाकी बचे साथी, जिनको शिकार ना बनाया गया हो
तो भैया अब हम चलते है, इससे पहले कि श्रीमती जी नाराज होयें हम निकलते है, अच्छा नमस्कार। लिखते रहिये, आगे बढते रहिये। टिप्पणी करना मत भूलियेगा।
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