अब सुझाव एक मसला बन गया

अभी पिछले दिनो मैने देसी पन्डित (एक अच्छी साइट जो, देसी ब्लॉगरों की अच्छी पोस्ट का लिंक देती है) पर हिन्दी के साथ साथ दूसरी भारतीय भाषाओं जैसे तमिल, तेलगू,बंगाली वगैरहा को भी प्रोत्साहित करने के लिये कहा। हालांकि अनूप भाई ने मेरे को अकेले मे गरियाया भी। तुरत फ़ुरत स्वयंसेवक हाजिर हो गये, तमिल भाषाओं की समरी पोस्ट के साथ, अब मसला था, अनुवाद का, तो जनाब उस मसले को भी सुलझा लिया गया, उसके लिये भी दो बन्दे तैयार हो गये। अब वहाँ पर हिन्दी के साथ साथ तमिल भाषा के ब्लॉग की भी एक समरी पोस्ट होगी। इस तरह से मेरे सुझाव को जल्द से जल्द अमल मे लाया गया। धन्यवाद देसी पन्डितों ।ये तो थी प्रस्तावना।

अब जैसा कि अन्देशा था, कि वहाँ पर फ़िर भाषाई पंगा खड़ा हो जायेगा, कुछ लोग हिन्दी को क्षेत्रीय भाषा मानेंगे, कुछ लोग तमिल को शामिल करने का विरोध करेंगे। जैसा कि ब्लाग मेला मे हुआ था, कुछ वैसा ही, पूरा का पूरा डिसकशन वही है, बस पात्र बदल गये है, पहले अंग्रेजी ब्लॉगर Vs हिन्दी ब्लॉगर थे, अब अंग्रेजी Vs तमिल है, ऊपर से परेशानी ये है कि बहुत सारे तमिल ब्लॉगर अंग्रेजी मे भी लिखते है, इसलिये वो आगे नही आये, लेकिन दूसरे लोग वहाँ पर डिसकशन पर डिसकशन कर रहे है। एक ने कहा, तमिल क्षेत्रीय भाषा है, तो जवाब मिला ये तो सबसे पुरानी भाषा है, और फ़िर अंग्रेजी भी तो विदेशी भाषा है।ये तो होना ही था, आज नही तो कल, लेकिन अब देखना ये है कि देसी पन्डित वाले क्या डिसीजन लेते है। देसी पन्डित भारतीय ब्लाग्स का प्रतिबिन्ब होना चाहिये, और भारतीय मतलब भारतीय, इसमे सभी भाषायें शामिल होनी चाहिये।

इस बार हिन्दी चिट्ठाकार दूर रहकर इस मामले को देख रहे है, अनूप भाई ने बीच बीच मे एक शेर भी कहा है, जरुर देखिये।

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