अतीत के झरोखों से : नारद का विचार

साथियों, काफी दिनो बाद लिख रहा हूँ, आज कुछ तांक झांक करते है, नारद के अतीत मे, यानि अतीत के झरोखों से , नारद के जन्म की कहानी सुनने की कई लोगों ने फरमाइश की थी, वैसे तो नारद का अपना ब्लॉग है लेकिन आजकल वो अपडेट नही हो रहा, उसे नारद की साइट पर ले जाने की कवायद जारी है। आइए बात करते है, नारद के विचार का जन्म कैसे हुआ।

जब मैने हिन्दी चिट्ठाकारी शुरु की थी, गिनती के आठ दस चिट्ठे हुआ करते थे। पढने वाले, वो भी इससे ज्यादा कहाँ थे। हम लोग अपने ब्लॉग पर चिट्ठा लिखते और लपक के दूसरे के ब्लॉग पर जाते और टिप्पणी मार आते। टिप्पणी मारने का अन्दाज कुछ ऐसा होता कि बन्दा वापसी मे आपके ब्लॉग पर आता और आपकी पोस्ट पर टिप्पणी कर जाता। धीरे धीरे अपनापन बढने लगा और साथ मे ब्लॉग भी। अब टिप्पणी करने के लिए ब्लॉग का पता लगाना मुश्किल हो रहा था, कुछ लोगों ने नए ब्लॉग ढूंढने की जिम्मेदारी सम्भाली, प्रतीक ने इसमे पीएचडी कर रखी है, (आप कंही भी हिन्दी ब्लॉग बनाओ, प्रतीक उसको ढूंढ कर ले आएगा) और कुछ ने मौजूदा ब्लॉग पर नयी पोस्ट पता करने की । हम लोगो ने अपने अपने कम्प्यूटर पर ब्लॉग/न्यूज एग्रीगेटर लगाकर पता चलाना शुरु किया कि किस किस बन्दे ने आज ब्लॉग लिखा। तब हम लोगों का RSS, ATOM, XML से पहली बार पाला पड़ा था। अब ये तकनीक कैसे काम करती थी, इसका तो पता नही था, लेकिन सचमुच मजा आ गया। फिर जो इस तकनीक का इस्तेमाल शुरु हुआ, वो आज तक जारी है। खैर… ये तो रही पुरानी बात। फिर जमाना आया, चिट्ठा विश्व का, अब तक ब्लॉग काफी बढ चुके थे, चिट्टा विश्व सही मायने मे हिन्दी चिट्ठों का पहला ब्लॉग एग्रीगेटर था। देबाशीष दादा द्वारा जावा पर बना, बहुत ही अच्छा प्रोग्राम था, जिसमे ब्लॉग झट से ब्लॉग अपडेट हो जाया करते थे। लेकिन इसमे भी एक परेशानी थी, वो ये एक फ्री के सर्वर पर होस्टेड था, इसलिए कभी कभी डाउन रहता था। जब ये डाउन होता, तो हम चिट्ठाकार बड़े बैचेन हो जाया करते। उस सर्वर वाले को मन ही मन गरिआते। कहते है आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है। यहाँ पर हमे एक और फीड एग्रीगेटर की आवश्यकता महसूस होने लगी थी।

अब तक हम में से कई लोग ब्लॉगर को अलविदा कहकर अपने अपने सर्वर पर शिफ़्ट हो चुके थे। नयी तकनीक और नित नए प्रयोगों के लिए हाथ खुजला रहे थे, आखिर, मैने एक पीएचपी पर ब्लॉग एग्रीगेटर लगाया, जिसका नाम फीड आन फीड था। बहुत दु:खी टाइप का एग्रीगेटर था। जब भी ब्लॉग एग्रीगेट करता, तो सर्वर के रिसोर्सेस की ऐसी तैसी कर देता था। फिर किसी के हाथ मे कन्ट्रोल भी नही था, जो भी ब्लॉग लिखकर आता, और एग्रीगेशन वाले लिंक को क्लिक कर देता। और फिर वही, सर्वर के रिसोर्सेस की ऐसी की तैसी। आखिर एक दिन होस्टिंग वालों के हाथ जोड़ दिए, बोले या तो एग्रीगेटर हटाओ या अपनी दुकान समेटो। मरता क्या ना करता, फीड आन फीड की कहानी यहीं समाप्त हुई। लेकिन धुन सवार रही कि फीड एग्रीगेटर तो जरुर बनाएंगे।

इस बार बागडोर सम्भाली, मिर्ची सेठ यानि पंकज नरुला ने, उन्होने वर्डप्रेस पर एक प्लग-इन ढूंढ निकाला, जो ब्लॉग को एग्रीगेट करता। इस तरह नारद के विचार ने जन्म लिया।

आगे भी जारी ………………………

17 responses to “अतीत के झरोखों से : नारद का विचार”

  1. SHUAIB Avatar

    नारद के वजूद के बारे जानकर बहुत ख़ुशी हुई, इस पे काम करने वाले सभी को हमारी ओर से शुभकामनाएं

  2. राजेश कुमार Avatar

    जीतु भाई, सच पूछिए तो नारद पुराण सुनने कि काफी उत्सुकता थी, आपने काफी सही विषय चुना है। आपने प्रतीक के बारे में सही फरमाया। मेरे टेस्ट पोस्ट के छपते ही कुछ ही मिनटों में उनकी उत्साहवर्धक टिप्पणी उपस्थित थी। सच पूछिए तो मैं १९ वर्ष बाद हिन्दी लिख रहा था और काफी घबराया हुआ था, पर जो अपनापन मैने हिन्दी चिट्ठाकारी में देखा वो मुझे अंग्रेजी में नहीं दिखता।
    नारद पुराण जारी रखें , हमे आगे का भी इंतजार रहेगा

  3. अफ़लातून Avatar

    बधाई।ताकि सनद रहे , इस इतिहास को नारद उवाच पर नहीं तो ‘अक्षरग्राम’ पर भी डालें।अगली कड़ी/कड़ियों का इन्तेजार रहेगा ।

  4. pankaj bengani Avatar
    pankaj bengani

    बहुत सही ताऊ.. आगे की कडी का इंतजार है.

  5. Anamdas Avatar
    Anamdas

    नारायण-नारायण…आपके श्रीमुख से नारद उत्पत्ति कथा सुनकर काफ़ी आनंदविभोर भए अनामदास.
    कृपया जारी रखें. ईश्वर आपको और शक्ति सामर्थ्य दे ताकि हिंदी ब्लॉगिंग समृद्ध होती रहे.
    साधुवाद.

  6. समीर लाल Avatar

    बहुत सही! बहुतों को उत्सुकता थी यह जानने के लिये और मुझे भी. बढ़िया है, जारी रखो.

  7. eswami Avatar

    वैसे आप रमण कौल भाई की जावास्क्रिप्ट भूल गए जिसके माध्यम से हम ब्लागमंडल की ताजा पोस्ट्स अपने ब्लाग पर दिखाते थे.

    वर्डप्रेस के प्लग-इन्स के बारे में बताना मत भूलना जहां से शुरुआत हुई थी.

    मेगपाई से मैने भी पंगे लिये थे मैं तब सोचता था की गूगल रीडर में सबकी कडियां जोड कर उसकी अपडेट फ़ीड एक पेज पर दिखाते जाएं.

  8. pramod singh Avatar
    pramod singh

    वैष्‍णव जन तो तेंने कहिये.. अच्‍छा है, जीतू बाबू.. हमारी ओर से भी ताली..

  9. श्रीश शर्मा 'ई-पंडित' Avatar

    बहुत खूब ऐसे लेख की फरमाइश अपनी तरफ से भी लंबे समय से थी। अब एक काम करिए कि सर्वज्ञ के नारद वाले पेज पर इस पोस्ट और नारद पुराण की आगे वाली पोस्टों के लिंक डाल दीजिएगा।

  10. Amit Avatar

    आपने प्रतीक के बारे में सही फरमाया। मेरे टेस्ट पोस्ट के छपते ही कुछ ही मिनटों में उनकी उत्साहवर्धक टिप्पणी उपस्थित थी।

    अरे भई, मुझे तो बाकी हिन्दी ब्लॉगों का पता ही नहीं था, मेरे पास पहुँचने में तो अनुनाद जी ने प्रतीक बाबू को पछाड़ दिया था। 🙂 वैसे मैं जीतू भाई द्वारा कथित प्रतीक बाबू की पीएचडी का खंडन नहीं कर रहा हूँ, सिर्फ़ इतना कह रहा हूँ कि इसमें अनुनाद जी जैसे कुछ साथियों ने कम से कम एमफ़िल तो कर ही रखी है। 😉

  11. अनूप शुक्ला Avatar

    सही है! आगे लिखो!

  12. notepad Avatar
    notepad

    जानकारी बढाने के लिए धन्यवाद।
    कुछ और भी बातें बताएं।
    हिन्दी ब्लागिंग के इतिहास की रचना का यह पहला चरण।

  13. संजय बेंगानी Avatar
    संजय बेंगानी

    आप तो इतिहास का लेखन करने लगे 🙂
    अच्छा प्रयास.

  14. Neelima Avatar

    क्‍या बात है….आप लोगों के ही भरोसे अपना शोधकार्य हो रहा है। आप यह न लिखते तो मुझे यह सब खोजना पड़ता 🙂
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    ठीक है दे देंगे चार लाईन का आभार ज्ञापन। 🙂

  15. प्रियंकर Avatar

    ‘हिंदी ब्लॉग का संक्षिप्त इतिहास’ के लेखक/इतिहासकार की ‘सम्वर्धना’ होनी चाहिए . यह इतिहास इसलिये भी सच्चा होगा क्योंकि इसमें इतिहास-लेखक अपने साथियों के साथ इतिहास-निर्माता की भूमिका में भी है . सो चिट्ठा-इतिहास के इस ‘रामचंद्र शुक्ल’ को मेरी ओर से शुभकामनाएं और बधाई!

  16. अतुल शर्मा Avatar

    जीतू भैया, आपने चिट्ठाकारिता का इतिहास लिख दिया। अब उस समय के बारे में सभी ने जाना।

  17. poonam Avatar

    नारद के सफर में शामिल करने का शुक्रिया.यह आपलोगों की मेहनत का नतीजा जो हिन्दी चिट्ठाकार एक दूसरे से जुड सके हैं.आगे के इतिहास का इंतज़ार है

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